Obelisks: वैज्ञानिकों ने खोजा वायरस जैसी एक नई बायोलॉजिकल एंटिटी
वैज्ञानिकों ने हमारी आंतों और मुंह में वायरस के जैसे दिखने वाली छिपी हुई अजीब बायोलॉजिकल एंटिटी (“biological entities) की खोज की है जो जीवन के एक बिल्कुल नए वर्ग के ऑर्गनिज्म का प्रतिनिधित्व कर सकती हैं – यदि वे जीवित भी हैं।
“ओबिलिस्क” (Obelisks) कहे जाने वाले RNA के ये छोटे छल्ले एक ऐसी संरचना में बदल सकते हैं जो एक छड़ी की तरह दिखती है, इसलिए इसे स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की रिसर्च टीम ने यह नाम दिया गया है।
ये आश्चर्यजनक रूप से हमारे माइक्रोबायोम समुदाय; वायरस, बैक्टीरिया, कवक और उनके जीन जो हमारे शरीर में रहते हैं, में भी कॉमन हैं। फिर भी, वे अब तक अज्ञात रहे हैं और स्पष्ट दृष्टि से छिपे रहस्यमय “जेनेटिक एजेंट्स” की बढ़ती सूची में नवीनतम खोज का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ओबिलिस्क की खोज नोबेल पुरस्कार विजेता आनुवंशिकीविद् और रोगविज्ञानी, एंड्रयू फायर के नेतृत्व वाली एक टीम ने की है।
शोधकर्ताओं ने इंटीग्रेटिव ह्यूमन माइक्रोबायोम प्रोजेक्ट डेटाबेस को खंगालने के बाद भी केवल 30,000 ओबिलिस्क पाए। इंटीग्रेटिव ह्यूमन माइक्रोबायोम प्रोजेक्ट मानव स्वास्थ्य और बीमारी का अध्ययन करने के लिए दुनिया भर के शोधकर्ताओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले माइक्रोबायोम का एक डेटासेट है।
जब उन्होंने दुनिया भर से अन्य माइक्रोबायोम डेटासेट की खोज की, तो उन्हें और भी अधिक जानकारी मिली। एक डेटासेट में, 6.6 प्रतिशत आंत के नमूनों और 53 प्रतिशत मुंह के नमूनों में ओबिलिस्क पाए गए।
ओबिलिस्क जीवों के अपने स्वयं के वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसे वे इसे वायरस (viruses) और वाइरोइड्स (viroids) के बीच का ऑर्गनिज्म मान रहे हैं। viroids सिंगल स्ट्रैंड वाले गोलाकार RNA हैं जिनके बारे में सोचा गया था कि वे ज्यादातर पौधों को संक्रमित करते हैं।
हालाँकि ये दोनों (Obelisks और viroids) काफी हद तक एक जैसे दिखते हैं, लेकिन वाइरोइड्स अपना स्वयं का प्रोटीन नहीं बना सकते हैं, जबकि शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि ओबिलिस्क ऐसा कर सकते हैं। ये ओबिलिस्क-निर्मित प्रोटीन किसी भी प्रोटीन की तरह नहीं हैं जिनके बारे में हम आज जानते हैं, यही कारण है कि रिसर्च टीम ने उन्हें “ओब्लिन्स” (oblins) नाम दिया है।
वायरस भी अपने स्वयं के प्रोटीन बना सकते हैं, और उनके आनुवंशिक सामग्री के चारों ओर एक सुरक्षात्मक खोल (protective shell) होता है। वहीं, ओबिलिस्क में यह खोल नहीं होता है।
इसलिए, ओबिलिस्क को किसी प्रकार के होस्ट की आवश्यकता होती है। शोधकर्ता टीम एक होस्ट की पहचान करने में कामयाब रहे। यह होस्ट है स्ट्रेप्टोकोकस सेंगुइनिस नामक एक जीवाणु जो ज्यादातर हमारे मुंह में दंत प्लैक में रहता है।
वाइरोइड्स (viroids)
वाइरोइड्स (viroids) आनुवंशिक सामग्री (डीएनए जैसे अणु जिन्हें RNA के रूप में जाना जाता है) के छोटे टुकड़े हैं जो प्रोटीन नहीं बना सकते हैं और वायरस के विपरीत, उनके जीनोम को घेरने के लिए कोई सुरक्षात्मक आवरण नहीं होता है।
वाइरोइड राइबोजाइम के उदाहरण हैं। वाइरॉइड्स अपने जीनोम को स्वयं-विभाजित (काट-काट कर) कर सकते हैं और पुनः जोड़ सकते हैं (एक साथ चिपक सकते हैं)। वे फूलों के पौधों में गंभीर बीमारी पैदा कर सकते हैं।
लंबे समय तक वाइरोइड्स को पौधों तक ही सीमित माना जाता था, लेकिन जानवरों, बैक्टीरिया और अन्य जीवन रूपों के सिक्वेंसिंग टाबेस के बीच वाइरोइड जैसे गोलाकार आरएनए RNA के कुछ हालिया प्रमाण मिले हैं।