राज्यसभा ने जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया

राज्यसभा ने जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) संशोधन विधेयक, 2024 (Water (Prevention and Control of Pollution) Amendment Bill, 2024) पारित कर दिया है।

विधेयक के द्वारा जल ( प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 में संशोधन किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 252 के तहत पारित 1974 के अधिनियम में जल प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के गठन का प्रावधान है।

अधिनियम के तहत, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष को राज्य सरकार द्वारा नामित किया जाता है। संशोधन विधेयक के प्रावधान के अनुसार, केंद्र सरकार राज्य बोर्ड अध्यक्ष की नियुक्ति के तरीके और सेवा की शर्तों को निर्धारित करेगी

यह विधेयक इस कानून के कई उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से बाहर करता है और जुर्माना का प्रावधान करता है। यह शुरुआत में हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होगा।

संशोधन में आपराधिक प्रावधानों को तर्कसंगत बनाने और यह सुनिश्चित करने का प्रस्ताव है कि नागरिक, व्यवसायी और कंपनियां मामूली, तकनीकी या प्रक्रिया संबंधी भूल के लिए जेल की सजा भुगतने के डर के बिना काम करें।

विधेयक के अनुसार, केंद्र सरकार को नए आउटलेट और नए डिस्चार्ज पर प्रतिबंध से संबंधित धारा 25 के प्रावधान से कुछ श्रेणियों के औद्योगिक संयंत्रों को छूट देने का अधिकार होगा।

यह विधेयक जल निकायों में प्रदूषणकारी पदार्थों के प्रवाह से संबंधित प्रावधानों के उल्लंघन के लिए 10,000 रुपये से 15 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाता है।

विधेयक में मामूली अपराधों को अपराध की श्रेणी से हटाने और कानून का बार-बार उल्लंघन करने की स्थिति में जेल की सजा के स्थान पर मौद्रिक दंड लगाने का प्रावधान है।

यह केंद्र सरकार को किसी भी उद्योग, संचालन या प्रक्रिया, या ट्रीटमेंट और निपटान प्रणाली की स्थापना या नए या परिवर्तित आउटलेट के उपयोग में लाने के लिए किसी भी राज्य बोर्ड द्वारा सहमति देने, इनकार करने या रद्द करने से संबंधित मामलों पर दिशानिर्देश जारी करने का अधिकार देता है।

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