पर्यावरण और वन मुद्दों पर “केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC)”
सुप्रीम कोर्ट ने 28 जनवरी 2024 को कई निर्देश जारी किए, जिसमें उचित संस्थागतकरण की दिशा में पर्यावरण रेगुलेटरी संस्थाओं और प्राधिकरणों के प्रदर्शन का नियमित ऑडिट भी शामिल है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि पर्यावरण कानूनों को लागू करने वाले निकायों और प्राधिकरणों को अपने कामकाज में जवाबदेह, पारदर्शी और कुशल होना चाहिए।
अदालत ने पर्यावरण और वन मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट की सहायता करने वाली विशेषज्ञ समिति – केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (Central Empowered Committee: CEC) को एक निश्चित कार्यकाल और निर्दिष्ट कार्यों के लिए केंद्र द्वारा चुने गए सदस्यों के साथ एक स्थायी निकाय बनाने की केंद्र की अधिसूचना को भी मंजूरी दे दी।
CEC, जोअब तक ऐड-हॉक था, अब एक स्थायी वैधानिक निकाय के रूप में मान्यता प्राप्त होगी।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 5 सितंबर 2023 को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के तहत दो अधिसूचनाएं जारी की, जिसमें CEC को एक स्थायी निकाय के रूप में गठित किया गया है और एक और अधिसूचना के द्वारा अध्यक्ष और सदस्यों को नामित किया गया।
यह समिति केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को रिपोर्ट करेगी और मंत्रालय इसके सभी सदस्यों का चयन करेगा।
केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) का गठन 2002 में टीएन गोदावर्मन थिरुमलपाद बनाम भारत संघ और अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक फैसले द्वारा एक तदर्थ निकाय के रूप में किया गया था। तब यह सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करती थी। लेकिन अब यह स्थायी हो गयी है और पर्यावरण मंत्रालय को रिपोर्ट करेगी।