अंतरिम केंद्रीय बजट और वोट ऑन अकाउंट
केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2024 को संसद में वित्त वर्ष 2024-2025 के लिए अंतरिम केंद्रीय बजट (Interim Union Budget) पेश किया।
अंतरिम बजट
अंतरिम बजट वित्त मंत्री द्वारा दोनों सदनों में प्रस्तुत किया जाता है। अंतरिम बजट के लिए संविधान में कोई प्रावधान नहीं है। अंतरिम बजट को मतदान के लिए प्रस्तुत किया जाता है और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाता है।
केंद्रीय बजट की तरह, अंतरिम बजट पर भी पारित होने से पहले लोकसभा में बहस होती है और यह पूरे वर्ष के लिए वैध होता है, हालांकि यह केवल एक ट्रांज़िशन व्यवस्था है यानी चुनाव के पश्चात सरकार के गठन तक के लिए व्यवस्था होती है।
अंतरिम बजट में सरकार के व्यय, राजस्व, राजकोषीय घाटे, वित्तीय प्रदर्शन और कुछ महीनों के अनुमानों के अनुमान शामिल होते हैं।
वोट ऑन अकाउंट
बता दें की चुनावी वर्ष में मौजूदा सरकार पूर्ण बजट पेश नहीं कर सकती क्योंकि चुनाव के बाद कार्यपालिका में बदलाव हो सकता है। इसलिए अंतरिम बजट की जरूरत पड़ती है।
चूंकि अंतरिम बजट के लिए कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है, इसलिए केंद्र सरकार नई सरकार के पूर्ण बजट पेश करने तक ट्रांज़िशन अवधि (अप्रैल-जुलाई) के लिए व्यय हेतु आवश्यक धनराशि के लिए संविधान के “लेखानुदान” (vote-on-account) प्रावधान के तहत लोक सभा की मंजूरी लेने का विकल्प चुन सकता है।
संसद अंतरिम बजट के माध्यम से लेखानुदान पारित करती है जो सरकार को वेतन और चल रहे खर्चों जैसे आवश्यक सरकारी खर्चों के लिए संसदीय मंजूरी प्राप्त करने की अनुमति देती है।
संविधान का अनुच्छेद 116 निचले सदन को किसी भी वित्तीय वर्ष के हिस्से के लिए अनुमानित व्यय के लिए मतदान करके और ऐसे कानून को पारित करके, यानी वोट ऑन अकाउंट द्वारा अग्रिम अनुदान देने की अनुमति देता है।
लोकसभा को ऐसे व्यय के लिए भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) से आवश्यक धन की निकासी को मंजूरी देने का अधिकार है।
एक साधारण लेखानुदान यानी वोट ऑन अकाउंट में ट्रांज़िशन अवधि (सरकार गठन तक) के लिए वेतन, चल रही परियोजनाओं और अन्य व्यय के लिए केंद्र की निधि आवश्यकताओं को प्रस्तुत करना शामिल है।
लेखानुदान को लोकसभा में बहस के बिना पारित किया जाता है। इसके माध्यम से कर की दरों में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। यह भी केवल दो महीने के लिए वैध है, हालांकि, इसे चार महीने तक बढ़ाया जा सकता है।