अयोध्या राम मंदिर की सूर्य तिलक मैकेनिज्म

अयोध्या में राम मंदिर की एक अनूठी विशेषता सूर्य तिलक मैकेनिज्म (Surya Tilak mechanism) है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि हर साल श्रीराम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे लगभग 6 मिनट के लिए सूर्य की किरणें भगवान राम की मूर्ति के ललाट पर पड़ेंगी।

राम नवमी, हिंदू कैलेंडर के पहले महीने के नौवें दिन मनाई जाती है, जो आमतौर पर मार्च-अप्रैल में होती है, जो भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के जन्मदिन का प्रतीक है। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एस्ट्रोफिजिक्स बेंगलुरु ने सूर्य के पथ को मंदिर के शिखर तक पहुँचाने में तकनीकी सहायता प्रदान की।

CSIR-IHBT पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) ने 22 जनवरी को अयोध्या में दिव्य राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में ट्यूलिप फूल भेजे। सर्दी के मौसम में ट्यूलिप में फूल नहीं आते। यह केवल जम्मू-कश्मीर और कुछ अन्य उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ही उगता है और वह भी केवल वसंत ऋतु में। हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर ने हाल ही में एक स्वदेशी तकनीक विकसित की है जिसके माध्यम से ट्यूलिप को उसके मौसम की प्रतीक्षा किए बिना, पूरे वर्ष उपलब्ध कराया जा सकता है।

मुख्य मंदिर की इमारत, जो 360 फीट लंबी, 235 फीट चौड़ी और 161 फीट ऊंची है, राजस्थान के बंसी पहाड़पुर (Bansi Pahadpur) से निकाले गए बलुआ पत्थर से बनी है। इसके निर्माण में कहीं भी सीमेंट या लोहे और स्टील का उपयोग नहीं किया गया है। 3 मंजिला मंदिर का संरचनात्मक डिजाइन भूकंप प्रतिरोधी बनाया गया है और यह 2,500 वर्षों तक रिक्टर पैमाने पर 8 तीव्रता के प्रबल झटकों का सामना कर सकता है।

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