RBI ने इनऑपरेटिव और अनक्लेम्ड बैंक खातों पर दिशा-निर्देश जारी किए
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने खातों और जमाओं को निष्क्रिय खातों (inoperative accounts) और लावारिस जमाओं (unclaimed deposits) के रूप में वर्गीकृत करते समय बैंकों द्वारा किए जाने वाले उपायों पर 1 जनवरी 2024 को व्यापक दिशानिर्देश जारी किए।
RBI के संशोधित निर्देश 1 अप्रैल, 2024 से लागू होंगे।
बता दें कि RBI ने जून 2023 में “100 दिन, 100 भुगतान” (100 Days 100 Pays) अभियान शुरू करने के बाद नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इस अभियान के तहत बैंकों को हर जिले में प्रत्येक बैंक की टॉप 100 लावारिस जमाओं का पता लगाना और उनका निपटान करना होता है।
प्रमुख तथ्य
RBI ने बैंकों से कहा है कि वे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर जैसी सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के लिए खोले गए जीरो बैलेंस एकाउंट्स को क्लासिफाय न करें, भले ही खाते में दो साल तक कोई लेन-देन नहीं किये गए हों।
केंद्र और राज्य सरकारें इन खातों में चेक/डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर/इलेक्ट्रॉनिक बेनिफिट ट्रांसफर/छात्रवृत्ति राशि जमा करने में कठिनाई व्यक्त कर रही थीं क्योंकि अकाउंट दो साल से संचालन न होने के कारण इन्हें इनएक्टिव के रूप में क्लासिफाय किया गया है।
जिस खाते में दो साल तक लेन-देन नहीं किया जाता है उसे निष्क्रिय या इनऑपरेटिव के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
RBI ने कहा कि ग्राहकों को खाते को दोबारा एक्टिवेट करने के लिए नए सिरे से KYC डॉक्यूमेंट जमा करने होंगे।
किसी भी खाते में रखी गई जमा राशि, जिसे 10 साल या उससे अधिक समय से संचालित नहीं किया गया है, या 10 साल या उससे अधिक समय से दावा न की गई कोई राशि, बैंकों द्वारा ‘जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना’ (Depositor Education and Awareness Fund Scheme) में ट्रांसफर की जानी आवश्यक है। इस फंड का रखरखाव RBI द्वारा किया जाता है।
किसी खाते को ‘इनऑपरेटिव’ के रूप में वर्गीकृत करने के उद्देश्य से, केवल ग्राहक-द्वारा लेनदेन पर विचार किया जाना चाहिए, न कि बैंक-द्वारा लेनदेन पर।
इससे बैंकिंग प्रणाली में लावारिस जमा की मात्रा कम होने और ऐसी जमा राशि को उनके सही मालिकों/दावेदारों को लौटाने की उम्मीद है।