बैंकों और NBFCs के लिए ग्रीन डिपॉजिट जुटाना अनिवार्य नहीं: RBI
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 29 दिसंबर को कहा कि बैंकों और NBFCs के लिए ग्रीन डिपॉजिट जुटाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन अगर वे ऐसा करने का इरादा रखते हैं तो उन्हें ग्रीन डिपॉजिट फ्रेमवर्क का पालन करना होगा।
गौरतलब है कि अप्रैल 2023 में, RBI ने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) द्वारा “ग्रीन डिपॉजिट” स्वीकार करने के लिए विस्तृत गाइडलाइंस जारी किए थे।
इसके अनुसार ग्रीन डिपॉजिट के तहत जमा राशि का उपयोग नवीकरणीय ऊर्जा, ग्रीन ट्रांसपोर्ट और ग्रीन बिल्डिंग्स जैसी प्रोजेक्ट्स में निवेश या फंडिंग के लिए किया जा सकता है।
यह फ्रेमवर्क 1 जून, 2023 से लागू हुआ। दिसंबर 2023 के अंत में RBI ने इस पर FAQ जारी किया।
ग्रीन डिपॉजिट-मुख्य विशेषताएं
मौजूदा ग्रीन डिपॉजिट फ्रेमवर्क ग्रीन डिपॉजिट को केवल भारतीय रुपये में अंकित या डेनोमिनटेड करने की अनुमति देता है।
RBI-रेगुलेटेड संस्थाओं (REs) को जमाराशि के आवंटन/उपयोग की परवाह किए बिना सहमत नियमों और शर्तों और निर्धारित निर्देशों के अनुसार अपने ग्राहकों को ग्रीन डिपॉजिट पर ब्याज का भुगतान करना चाहिए।
ग्रीन डिपॉजिट की समय से पहले निकासी पर कोई प्रतिबंध नहीं है, हालांकि, रेगुलेटेड संस्थाओं को मौजूदा दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।
रेगुलेटेड संस्थाएं पहले ग्रीन प्रोजेक्ट्स की फंडिंग नहीं कर सकते और उसके बाद ग्रीन डिपॉजिट नहीं जुटा सकते। इसका मतलब है कि बैंकों को पहले ग्रीन डिपॉजिट स्वीकार करना होगा, उसके बाद ही उस राशि को ग्रीन प्रोजेक्ट्स में निवेश कर सकते हैं।
इस फ्रेमवर्क के तहत फण्ड प्राप्त करने वाली ग्रीन एक्टिविटीज या प्रोजेक्ट्स को प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है यदि वे RBI के प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (priority sector lending: PSL) गाइडलाइन्स में निर्धारित आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
फ्रेमवर्क के तहत जुटाई गई जमा राशि जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम अधिनियम, 1961 और उसके तहत बनाए गए नियमों, समय-समय पर संशोधित के अनुसार जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation: DICGC) द्वारा कवर की जाती है।