RBI ने सरकारी प्रतिभूतियों (G-Secs) को ऋण के रूप में देने और उधार लेने की मंजूरी दे दी है
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 27 दिसंबर को सरकारी प्रतिभूति ऋण दिशानिर्देश, 2023 (Government Securities Lending Directions, 2023) को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया।
फरवरी 2023 में, केंद्रीय बैंक ने प्रतिभूति ऋण बाजार में भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकारी प्रतिभूतियों को उधार देने और उधार लेने के लिए मसौदा मानदंड जारी किए थे।
केंद्र सरकार द्वारा जारी सरकारी प्रतिभूतियाँ (ट्रेजरी बिल को छोड़कर) सरकारी प्रतिभूति ऋण (GSL) लेनदेन में उधार देने और उधार लेने के लिए पात्र हैं।
इसके अलावा, केंद्र सरकार द्वारा जारी सरकारी प्रतिभूतियां (ट्रेजरी बिल सहित) और राज्य सरकारों द्वारा जारी सरकारी प्रतिभूतियां, दोनों GSL लेनदेन में कोलेटरल के रूप में रखे जाने के लिए उपयोग के लिए पात्र हैं।
सरकारी प्रतिभूति ऋण लेनदेन की न्यूनतम अवधि एक दिन होगी और अधिकतम अवधि छोटी बिक्री को कवर करने के लिए निर्धारित अधिकतम अवधि होगी।
सभी सरकारी प्रतिभूति ऋण लेनदेन डिलीवरी बनाम डिलीवरी के आधार पर तय होंगे।
सरकारी प्रतिभूतियों (G-Secs) के बारे में
सरकारी प्रतिभूतियां या गवर्नमेंट सिक्योरिटीज केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी एक ट्रेड योग्य इंस्ट्रूमेंट है।
यह एक प्रकार से सरकार के ऊपर लोन लायबिलिटी होती है जिसे वह सरकारी योजनाओं के लिए फंड जुटाने हेतु जारी करती है।
ये प्रतिभूतियाँ या तो शार्ट टर्म (एक वर्ष से कम की मूल परिपक्वता वाले ट्रेजरी बिल के रूप में जानी जाती हैं) या लॉन्ग टर्म (आमतौर पर सरकारी बांड या एक वर्ष या अधिक की मूल परिपक्वता वाली दिनांकित प्रतिभूतियाँ डेटेड सिक्युरिटीज कहलाती हैं) होती हैं।
केंद्र सरकार ट्रेजरी बिल और बांड या दिनांकित प्रतिभूतियाँ/डेटेड सिक्योरिटीज दोनों जारी करती है जबकि राज्य सरकारें केवल बांड या दिनांकित प्रतिभूतियाँ/डेटेड सिक्योरिटीज जारी करती हैं जिन्हें राज्य विकास ऋण (SDL) कहा जाता है।
सरकारी प्रतिभूतियों में व्यावहारिक रूप से डिफ़ॉल्ट का कोई खतरा नहीं होता है और इसलिए उन्हें रिस्क फ्री इंस्ट्रूमेंट कहा जाता है। ऐसा इसलिए कि सरकार के डिफॉल्ट होने की संभावना नगण्य होती है।
सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए, निवेशकों को RBI रिटेल डायरेक्ट योजना के तहत RBI डायरेक्ट गिल्ट खाते खोलने होते हैं। यह व्यक्तिगत निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश की सुविधा के लिए वन-स्टॉप समाधान है।
इस योजना के तहत, व्यक्तिगत खुदरा निवेशक सरकारी बॉण्ड में निवेश के लिए आरबीआई के पास खाता खोल सकते हैं।