भारत के पहले शीतकालीन आर्कटिक वैज्ञानिक अभियान को रवाना किया गया

पृथ्वी विज्ञान मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने 19 दिसंबर 2023 को भारत के आर्कटिक अनुसंधान स्टेशन  “हिमाद्री” (Himadri) के लिए भारत के पहले शीतकालीन आर्कटिक वैज्ञानिक अभियान (India’s first winter Arctic scientific expedition) को हरी झंडी दिखाई।

इस मिशन में चार अलग-अलग संस्थानों के चार वैज्ञानिक शामिल हैं।

हिमाद्रि आर्कटिक महासागर में स्वालबार्ड के नॉर्वेजियन द्वीपसमूह में न्यू-अलेसुंड में स्थित हैइस अभियान के बाद यह स्टेशन अब पूरे साल चालू रहेगा।

गौरतलब है कि कम से कम 10 देशों ने न्यू-अलेसुंड में अंतर्राष्ट्रीय आर्कटिक अनुसंधान बेस पर स्थायी सुविधाएं स्थापित की हैं।

सर्दियों (नवंबर से मार्च) के दौरान आर्कटिक में भारतीय वैज्ञानिक अभियान शोधकर्ताओं को पोलर नाइट्स के दौरान अद्वितीय वैज्ञानिक अवलोकन करने की अनुमति देंगे, जहां लगभग 24 घंटे तक सूरज की रोशनी नहीं होती है और तापमान शून्य से नीचे (-15 डिग्री सेल्सियस तक) होता है

इससे आर्कटिक, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन, अंतरिक्ष मौसम, समुद्री-बर्फ और महासागरीय परिसंचरण गतिशीलता, पारिस्थितिकी तंत्र अनुकूलन आदि की समझ बढ़ाने में मदद मिलेगी।

ये सभी मानसून सहित उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में मौसम और जलवायु को प्रभावित करते हैं। 2008 से, भारत आर्कटिक में हिमाद्रि नामक एक अनुसंधान आधार संचालित कर  रहा है, जहां ज्यादातर गर्मियों (अप्रैल से अक्टूबर) के दौरान वैज्ञानिक रहते हैं  स्टडी करते हैं।

पृथ्वी के ध्रुवों (आर्कटिक और अंटार्कटिक) पर भारतीय वैज्ञानिक अभियानों को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) की PACER (पोलर एंड क्रायोस्फीयर) योजना के तहत सुविधा प्रदान की जाती है। इसका संचालन  राष्ट्रीय ध्रुवीय और समुद्री अनुसंधान केंद्र (NCPOR), गोवा द्वारा किया जाता है।

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