अंग प्रत्यारोपण हेतु भारत में कानून

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हाल में एक ब्रिटिश अखबार टेलीग्राफ में छपी एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि दिल्ली का एक नामचीन अस्पताल की मिलीभगत से म्यांमार के गरीब ग्रामीणों को उसी देश के अमीर मरीजों को अपनी किडनी देने का लालच दिया जा रहा था।

यह रिपोर्ट सामने आने के बाद भारत सरकार ने  जांच के आदेश दिए हैं।

गौरतलब है कि  प्रत्यारोपण या तो मृत व्यक्तियों के अंगों के पूल से हो सकता है जो उनके रिश्तेदारों द्वारा दान किया गया हो, या किसी जीवित व्यक्ति से जिसे अंग प्राप्त करने वाला जानता हो।

मानव अंगों और ऊतकों का प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 ज्यादातर मामलों में, माता-पिता, भाई-बहन, बच्चे, पति या पत्नी, दादा-दादी, पोते-पोतियों जैसे करीबी रिश्तेदारों से लिविंग डोनेशन की अनुमति देता है।

दूर के रिश्तेदारों, ससुराल वालों, या लंबे समय दोस्त रहे व्यक्ति से परोपकारी अंगदान (Altruistic donations) को अतिरिक्त जांच के बाद अनुमति दी जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसमें किसी प्रकार का धन का लेन-देन नहीं हुआ हो।  

गरीब और कमजोर दाताओं को शोषण से बचाने के लिए भारत में पैसे के बदले अंग दान और प्रत्यारोपण बैन है।

अंगदान करने वाला व्यक्ति यदि रिसीवर का रिश्तेदार नहीं नहीं है तो उनके लम्बे काल से  सहयोग या मित्रता को दर्शाने वाले डॉक्यूमेंट और फोटोग्राफिक एविडेंस अन्य सभी दस्तावेजों के साथ जमा करने होंगे।

अंगों के लिए पेमेंट करने या पेमेंट के लिए अंगों की आपूर्ति करने का ऑफर देना, ऐसी व्यवस्था के लिए पहल करना/बातचीत करना/विज्ञापन देना, अंगों की आपूर्ति करने वाले व्यक्ति की तलाश करना और झूठे दस्तावेज तैयार करने में सहयोग करने पर 10 साल तक की जेल और 10 हजार रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

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