उत्पादक मूल्य सूचकांक (Producer Price Index: PPI)

भारत भविष्य में थोक मूल्य सूचकांक से उत्पादक मूल्य सूचकांक (Producer Price Index: PPI) की ओर बढ़ने की योजना बना रहा है। G20 के अधिकतर सदस्य देश इस सिस्टम का पालन करते हैं।

राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) PPI शुरू करने के रोडमैप पर कार्य समूह की रिपोर्ट की जांच कर रहा है। विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादक मूल्य सूचकांक उत्पादक के यहां से बेचने के लिए निकले उत्पादों की कीमतों में परिवर्तन की दर को मापते हैं। इनमें ऐसा कोई भी टैक्स, परिवहन और व्यापार मार्जिन शामिल नहीं होता है जो बायर को भुगतान करना पड़ सकता है

NSC थोक मुद्रास्फीति (wholesale inflation) का माप है। PPI विभिन्न वस्तुओं के उत्पादकों द्वारा प्राप्त कीमतों के औसत उतार-चढ़ाव का माप प्रदान करते हैं। इन्हें अक्सर संपूर्ण अर्थव्यवस्था में मूल्य परिवर्तन के एडवांस्ड इंडिकेटर के रूप में देखा जाता है, जिसमें उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में बदलाव भी शामिल है।

विनिर्माण में सेमी-प्रोसेस्ड वस्तुओं और अन्य इंटरमीडियरी वस्तुओं के साथ-साथ उपभोक्ता वस्तुओं और कैपिटल इक्विपमेंट जैसे अंतिम उत्पादों का उत्पादन शामिल है।

किसी अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति को मापने के लिए विभिन्न प्रकार के प्राइस इंडेक्स का उपयोग किया जा सकता है। इनमें उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (consumer price indices: CPI), विशिष्ट वस्तुओं और/या सेवाओं से संबंधित मूल्य सूचकांक, जीडीपी अपस्फीतिकारक (GDP deflators) और उत्पादक मूल्य सूचकांक (PPI) शामिल हैं।

error: Content is protected !!