इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन स्कीम
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 30 जून 2024 तक ब्याज समानीकरण योजना (Interest Equalisation Scheme) को जारी रखने के लिए 2500 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन को मंजूरी दे दी है। इससे पहचाने गए क्षेत्रों के निर्यातकों और सभी MSME निर्माता निर्यातकों को प्रतिस्पर्धी दरों पर प्री और पोस्ट शिपमेंट रुपया आधारित निर्यात ऋण प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
यह योजना RBI द्वारा विभिन्न सार्वजनिक और गैर-सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के माध्यम से कार्यान्वित की जाएगी जो निर्यातकों को शिपमेंट से पहले और बाद में ऋण प्रदान करते हैं।
इस योजना की निगरानी एक परामर्शी तंत्र के माध्यम से विदेश व्यापार निदेशालय (DGFT) और RBI द्वारा संयुक्त रूप से की जाती है। यह योजना मुख्य रूप से लेबर इंटेंसिव क्षेत्रों के लिए है।
वर्तमान प्रस्ताव पहचानी गयी टैरिफ लाइनों के व्यापारियों और निर्माता निर्यातकों और MSME क्षेत्र के निर्माता निर्यातकों द्वारा निर्यात के लिए है। इन रोजगार गहन क्षेत्रों और MSME से निर्यात बढ़ने से देश में रोजगार का सृजन होगा।
वैसे इसका लक्ष्य लाभार्थियों में सभी MSME निर्माता निर्यातक और कुछ पहचाने गए क्षेत्रों के गैर-MSME निर्यातक शामिल हैं।
भारत सरकार ने पात्र निर्यातकों को प्री और पोस्ट शिपमेंट रूपी एक्सपोर्ट क्रेडिट पर ब्याज समानीकरण योजना की घोषणा की थी।
यह योजना 1 अप्रैल, 2015 को शुरू हुई और शुरुआत में 31.3.2020 तक 5 वर्षों के लिए वैध थी। इसके बाद भी इस योजना को जारी रखा गया है, जिसमें कोविड के दौरान एक साल का विस्तार और आगे के विस्तार और फंड आवंटन शामिल हैं। वर्तमान में यह योजना व्यापारी और निर्माता निर्यातकों को शिपमेंट से पहले और बाद में रुपया में निर्यात ऋण पर 2% और सभी MSME निर्माता निर्यातकों को 3% की दर से ब्याज छूट का लाभ प्रदान करती है।