मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) के 75 वर्ष पूरे हुए
मानवाधिकार दिवस 2023 (10 दिसंबर) मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (Universal Declaration of Human Rights: UDHR) को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है।
प्रमुख तथ्य
इस ऐतिहासिक जीवंत डॉक्यूमेंट में पहली बार सार्वभौमिक रूप से मौलिक मानवाधिकारों की सुरक्षा की बात कही गई है।
10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा संकल्प 217 A (III) द्वारा अपनाया गया, UDHR आज भी हमारी दुनिया में उतना ही प्रासंगिक है।
हालांकि, यह भी सही है कि UDHR की 75वीं वर्षगांठ तब आई है जब इजरायल और हमास के बीच युद्ध, यूक्रेन में रूस के युद्ध जारी हैं; म्यांमार और सूडान में आंतरिक संघर्ष जारी है तथा कई अन्य स्थानों में मानवाधिकारों को चुनौती दी गई है।
यह अपेक्षाकृत संक्षिप्त डॉक्यूमेंट है। UDHR में एक प्रस्तावना और मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता को निर्धारित करने वाले 30 अनुच्छेद शामिल हैं।
UDHR दुनिया में सबसे अधिक ट्रांसलेटेड दस्तावेज़ है, जो 500 से अधिक भाषाओं में उपलब्ध है।
अनुच्छेद 1 में कहा गया है कि ” सभी मनुष्यों को गरिमा और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतंत्रता और समानता प्राप्त है।”
अनुच्छेद 2 में कहा गया है कि हर कोई उन सभी अधिकारों और स्वतंत्रता का हकदार है जो घोषणा में निर्धारित की गई हैं,बिना नस्लीय, रंग, लैंगिक, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य राय, राष्ट्रीय या सामाजिक मूल, संपत्ति, जन्म जैसे किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना।
यह UDHR कोई संधि नहीं है और अपने आप में कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, लेकिन इसके द्वारा निर्धारित सिद्धांतों को कई देशों के कानूनों में शामिल किया गया है और इसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के आधार के रूप में देखा जाता है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इसे वैश्विक और क्षेत्रीय स्तरों पर 70 से अधिक मानवाधिकार संधियों के लिए प्रेरित और मार्ग प्रशस्त करने के रूप में मान्यता प्राप्त है।