मेघालय की लाकाडोंग हल्दी को मिला GI टैग

मेघालय की लाकाडोंग हल्दी (Lakadong turmeric) को भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication: GI) टैग से सम्मानित किया गया है। लाकाडोंग हल्दी के साथ-साथ गारो डाकमांडा (पारंपरिक पोशाक), लारनाई मिट्टी के बर्तन और गारो चुबिची (मादक पेय) को भी  GI टैग से सम्मानित किया गया।  

जीआई टैग किसानों को विपणन में मदद करेगा और ग्राहकों को प्रामाणिक उत्पाद तक पहुंच प्रदान करेगा।

लाकाडोंग हल्दी जैन्तिया हिल्स के लाकाडोंग क्षेत्र में उगाई जाती है। इसमें करक्यूमिन की मात्रा अधिक होती है।

लाकाडोंग हल्दी को दुनिया की सबसे अच्छी हल्दी किस्मों में से एक माना जाता है, जिसमें करक्यूमिन ( curcumin) की मात्रा लगभग 6.8 से 7.5 प्रतिशत होती है।  

करक्यूमिन एक चमकीला पीला रसायन है जो करकुमा लोंगा प्रजाति के पौधों द्वारा उत्पादित होता है। यह हल्दी (करकुमा लोंगा) का प्रमुख करक्यूमिनोइड्स है, जो अदरक फैमिली “ज़िंगिबेरासी” का एक सदस्य है। इसका रंग गहरा होता है और इसे उर्वरकों के उपयोग के बिना जैविक रूप से उगाया जाता है।

डाकमांडा (Dakmanda) एक हाथ से बुना हुआ टखने तक का निचला परिधान है जो मेघालय की गारो महिलाओं की पारंपरिक पोशाक का हिस्सा है।

चुबिची (Chubitchi) गारो समुदाय का चावल से बना किण्वित पेय है जिसका सेवन दावतों और उत्सवों के दौरान किया जाता है।

लारनाई मिट्टी के बर्तन (Larnai pottery)  लारनाई गांव की काली मिट्टी से बने होते हैं और यह कला पीढ़ियों से चली आ रही है।

error: Content is protected !!