विश्व में मानव जीनोम सिक्वेंस का सबसे बड़ा सेट वैज्ञानिकों को उपलब्ध कराया गया

हाल ही में, यूके बायोबैंक ने अपने आधे मिलियन प्रतिभागियों के संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण (whole genome sequencing) से अविश्वसनीय नए डेटा का अनावरण किया।

यह यूनाइटेड किंगडम की आबादी का लगभग 0.7% है। ऐसे डेटा-सेट परिवर्तनकारी होते हैं, जिनका जैविक विज्ञान में तात्कालिक और दीर्घकालिक प्रगति, दोनों पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है।

गौरतलब है कि आबादी की सम्पूर्ण जीनोम सिक्वेंसिंग की दिशा में विश्व में कई पहल आरम्भ किये गए हैं और उनके परिणाम जारी किये गए हैं।

1996 में डेकोडे जीनोमिक्स (deCODE genomics) द्वारा आइसलैंड में बड़े पैमाने पर जनसंख्या के आनुवंशिक अध्ययन का उपयोग करने का प्रारंभिक प्रयास शुरू किया गया था। deCODE प्रयास ने बीमारियों के आनुवंशिकी और रिस्क इवैल्यूएशन में ऐसे डेटा की उपयोगिता के बारे में हमारी समझ में काफी सुधार किया।

यूके की ‘100K जीनोम’ परियोजना (100K Genome) का उद्देश्य जीनोमिक्स को नियमित स्वास्थ्य देखभाल में उपयोग में लाना है।

फार्मास्युटिकल कंपनियों की एक हालिया पहल में “डाइवर्सिटी ह्यूमन जीनोम इनिशिएटिव” (Diversity Human Genome Initiative) के माध्यम से अफ्रीकी मूल के पांच लाख से अधिक व्यक्तियों की जीनोम सिक्वेंसिंग करने की योजना बनाई गई है।

अमेरिका में AllofUS कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के वित्त पोषण से दस लाख लोगों की आनुवंशिक जानकारी एकत्र करेगा।

यूरोपीय संघ ने ‘1+ मिलियन जीनोम’ (1+ Million Genomes) पहल शुरू की है।

भारत में आबादी की जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए इंडिजेन (IndiGen) नामक एक पायलट कार्यक्रम ने भारत के महानगरीय क्षेत्रों के व्यक्तियों के एक हजार से अधिक जीनोम का प्रारंभिक दृश्य प्रदान किया।

जनसंख्या-स्तरीय जीनोम सिक्वेंसिंग प्रयास रोग की व्यापकता और रोगों के लिए बायोमार्कर को समझने के लिए एक अद्वितीय जनसंख्या संरचना का लाभ उठाते हैं, और इसका उपयोग नयी चिकित्सीय दवा की खोज में किया जा सकता है।

साथ ही स्केलेबल पब्लिक हेल्थ पहल के निर्माण में जीनोमिक डेटा का उपयोग निर्णय लेने और चिकित्सा देखभाल में किया जाता है।

संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण के अन्य लाभ: अधिक टार्गेटेड दवा की खोज और विकास, हजारों रोग पैदा करने वाले नॉन-कोडिंग आनुवंशिक वेरिएंट की खोज, सटीक चिकित्सा में तेजी लाना, रोग के जैविक आधार को समझना।

सभी जीवों (बैक्टीरिया, वनस्पति, स्तनपायी) में एक यूनिक आनुवंशिक कोड या जीनोम होता है। जीनोम DNA से बने होते हैं। DNA एक बहुत बड़ा अणु या मॉलिक्यूल है जो एक लंबी, मुड़ी हुई सीढ़ी जैसा दिखता है जिसे आप अक्सर पुस्तकों में देखते हैं। यह “DNA डबल हेलिक्स” है।

DNA को एक कोड की तरह पढ़ा जाता है। यह कोड चार प्रकार के रासायनिक बिल्डिंग ब्लॉक्स या क्षार (nucleotide bases): एडेनिन (A), थाइमिन (T), साइटोसिन (C) और गुआनिन (G) से बना है, जिन्हें A, T, C, और G अक्षरों से संकेतित किया जाता है।

इस कोड में अक्षरों का क्रम DNA को विभिन्न तरीकों से कार्य करने की अनुमति देता है। आपको एक यूनिक व्यक्ति बनाने में मदद करने के लिए कोड एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में थोड़ा बदलता रहता है।

यदि आप किसी जीव में इन बेसेज का क्रम जान जाते हैं, तो इसका मतलब है कि आपने उसके यूनिक डीएनए फ़िंगरप्रिंट, या पैटर्न की पहचान कर ली है। बेसेज का क्रम निर्धारित करना सिक्वेंसिंग कहलाता है।

संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण (Whole genome sequencing) एक प्रयोगशाला प्रक्रिया है जो एक प्रक्रिया में किसी जीव के जीनोम में क्षारों का क्रम निर्धारित करती है।

दरअसल आपका जीनोम एक ऑपरेटिंग मैनुअल है जिसमें वे सभी इंस्ट्रक्शंस शामिल हैं जो आपको एक कोशिका से उस व्यक्ति के रूप में विकसित होने में मदद करते हैं जो आप आज हैं। यह आपके विकास का मार्गदर्शन करता है, आपके अंगों को अपना काम करने में मदद करता है, और क्षतिग्रस्त होने पर खुद की मरम्मत करता है। और यह जीनोम आपका यूनिक है। जितना अधिक आप अपने जीनोम के बारे में जानेंगे और यह कैसे काम करता है, उतना अधिक आप अपने स्वयं के स्वास्थ्य को समझेंगे और साक्ष्य के आधार पर हेल्थ से संबंधित निर्णय लेंगे।

जीन DNA का एक सेगमेंट है जो कोशिका को एक विशिष्ट प्रोटीन बनाने के निर्देश प्रदान करता है, जो फिर आपके शरीर में एक विशेष कार्य करता है।

लगभग सभी मनुष्यों में समान जीन लगभग एक ही क्रम में व्यवस्थित होते हैं और आपकी डीएनए सिक्वेंस का 99.9% से अधिक हिस्सा किसी भी अन्य मानव के समान होता है। फिर भी, हम सब अलग-अलग हैं। औसतन, एक मानव जीन में 1-3 अक्षर होंगे जो हर व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं। ये अंतर प्रोटीन के आकार और कार्य को बदलने के लिए पर्याप्त हैं।

आनुवंशिक रोग DNA सिक्वेंस में परिवर्तन के कारण होता है। कुछ बीमारियाँ उत्परिवर्तन या म्युटेशन के कारण होती हैं जो माता-पिता से विरासत में मिलती हैं और जन्म के समय किसी व्यक्ति में मौजूद होती हैं।

अन्य बीमारियाँ किसी जीन या जीन के समूह में अर्जित उत्परिवर्तन के कारण होती हैं जो किसी व्यक्ति के जीवन के दौरान होता है।

उत्परिवर्तन (mutation) किसी जीव की DNA सिक्वेंस में परिवर्तन है। कोशिका विभाजन के दौरान डीएनए रेप्लिकेशन में त्रुटियों, उत्परिवर्तनों के संपर्क में आने या वायरल संक्रमण के कारण उत्परिवर्तन हो सकते हैं।

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