16वें वित्त आयोग के लिए टर्म ऑफ़ रिफरेन्स
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 16वें वित्त आयोग (Sixteenth Finance Commission) के लिए टर्म ऑफ़ रिफरेन्स (terms of reference: ToR) को मंजूरी दे दी है।
सरकार द्वारा 16वें वित्त आयोग की सिफारिशें स्वीकार किए जाने के क्रम में 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच (5) वर्षों की अवधि के लिए होंगी।
टर्म ऑफ़ रिफरेन्स
यह केंद्र और राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय का वितरण, और ऐसी आय के संबंधित हिस्सेदारी का राज्यों के बीच आवंटन पर सिफारिश देगा।
यह ऐसे सिद्धांत पर भी सिफारिश भी करेगा जो संविधान के अनुच्छेद 275 के तहत भारत की संचित निधि से राज्यों के राजस्व के सहायता अनुदान और उनके राजस्व के सहायता अनुदान के माध्यम से राज्यों को भुगतान की जाने वाली राशि को नियंत्रित करते हैं।
साथ ही यह राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों के पूरक उपाय के लिए राज्य की समेकित निधि को बढ़ाने के लिए आवश्यक उपाय भी बताएगा।
संविधान के अनुच्छेद 280(1)
संविधान के अनुच्छेद 280(1) में कहा गया है कि संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय के वितरण, अनुदान-सहायता और राज्यों के राजस्व और नियत अवधि के दौरान पंचायतों के संसाधनों की पूरकता के लिए आवश्यक उपाय करने तथा आय से संबंधित हिस्सेदारी को राज्यों के बीच आवंटन पर सिफारिश करने के मद्देनज़र एक वित्त आयोग की स्थापना की जाएगी।
पंद्रहवें वित्त आयोग का गठन 27 नवंबर, 2017 को किया गया था। इसने अपनी अंतरिम और अंतिम रिपोर्ट के माध्यम से एक अप्रैल, 2020 से शुरू होने वाली छह वर्षों की अवधि से संबंधित सिफारिशें कीं। पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशें वित्तीय वर्ष 2025-26 तक मान्य हैं।
संविधान के अनुच्छेद 280 के खंड (1) के अनुसार, वित्त आयोग का गठन हर पांचवें वर्ष या उससे पहले किया जाना है। चूंकि 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें 31 मार्च 2026 तक छह साल की अवधि के बारे में हैं, इसलिए 16वें वित्त आयोग का गठन अब प्रस्तावित है।
ऐसे उदाहरण हैं जहां ग्यारहवें वित्त आयोग का गठन दसवें वित्त आयोग के छह साल बाद किया गया था।
इसी प्रकार, चौदहवें वित्त आयोग का गठन तेरहवें वित्त आयोग के पांच साल दो महीने बाद किया गया था।