कवि भीमा भोई और महिमा पंथ की विरासत पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने 25 नवंबर को भुवनेश्वर में ‘संत कवि भीमा भोई और महिमा पंथ की विरासत पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी’ (International Seminar on Santha Kavi Bhima Bhoi and the legacy of Mahima Cult) का उद्घाटन किया।

महिमा पंथ (Mahima Cult), ओडिशा राज्य के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में निहित है। यह सादगी, समानता और निराकार ईश्वर के प्रति समर्पण पर ध्यान देने के साथ एक विशिष्ट धार्मिक आंदोलन का प्रतिनिधित्व करता है।

महिमा पंथ के केंद्र में महिमा गोसेन और उनके शिष्य भीमा भोई नामक दो महान व्यक्ति हैं 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध  में सक्रिय थे।

उन्होंने महिमा आंदोलन के माध्यम से अपने आध्यात्मिक नेतृत्व और सामाजिक क्रांति के साथ समकालीन ओडिया समाज में एक अमिट छाप छोड़ी, जो आज भी जारी है। इनके योगदान इस क्षेत्र के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने में निहित  है।

भीमा भोई को आम तौर पर “संथा कवि” अर्थात “संत कवि” कहा जाता है। उनकी आध्यात्मिक शिक्षाओं और उड़िया भजन तथा चौतिसा (भक्ति गीत) के रूप में साहित्यिक योगदान के लिए पूर्वी भारत में वे हर जगह श्रद्धेय हैं। 

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