ई प्राइम लेयर (prime layer)
एक नए अध्ययन के अनुसार, पृथ्वी के कोर के सबसे बाहरी हिस्से में एक नई रहस्यमय परत – ई प्राइम लेयर (E prime layer)– का निर्माण “सरफेस वाटर के पृथ्वी की गहराई में प्रवेश करने” का परिणाम है।
यह मैटेलिक लिक्विड कोर के सबसे बाहरी क्षेत्र की संरचना को बदलता है। प्रयोगों से पता चलता है कि जब पानी कोर-मेंटल सीमा तक पहुंचता है, तो यह कोर में सिलिकॉन के साथ रिएक्शन करता है, जिससे उच्च दबाव में सिलिका बनता है।
इससे पता चलता है कि सतही जल ले जाने वाली टेक्टोनिक प्लेटों ने इसे अरबों वर्षों में पृथ्वी के अंदर पहुंचाया है। सतह से लगभग 1,800 मील नीचे कोर-मेंटल सीमा तक पहुंचने पर, यह पानी महत्वपूर्ण रासायनिक परिवर्तन शुरू करता है, जो कोर की संरचना को प्रभावित करता है।
इस रिएक्शन से आउटर कोर पर हाइड्रोजन-समृद्ध, सिलिकॉन-रहित परत का निर्माण होता है, जो एक फिल्म जैसी संरचना जैसा दिखता है। इस प्रक्रिया से उत्पन्न सिलिका क्रिस्टल चढ़ते हैं और मेंटल में मिल जाते हैं, जिससे समग्र संरचना प्रभावित होती है।
मैटेलिक लिक्विड लेयर में इन बदलावों के परिणामस्वरूप इनका घनत्व कम हो सकता है और सिस्मिक फीचर में बदलाव हो सकता है।
पृथ्वी-चार प्राथमिक परतें
गौरतलब है कि पृथ्वी में चार प्राथमिक परतें (four primary layers) शामिल हैं: आंतरिक कोर, बाहरी कोर, मेंटल और क्रस्ट या भूपर्पटी ।
भूपर्पटी (Crust) पृथ्वी की बाहरी परत है और ठोस चट्टान यानी अधिकतर बेसाल्ट और ग्रेनाइट से बनी है।
मेंटल (mantle) भूपर्पटी के नीचे स्थित है और 2900 किमी तक मोटा है। इसमें गर्म, सघन, लौह और मैग्नीशियम युक्त ठोस चट्टानें शामिल हैं।
भूपर्पटी और मेंटल का ऊपरी भाग स्थलमंडल (lithosphere) का निर्माण करते हैं।
कोर (Core) पृथ्वी का केंद्र है और यह दो भागों से बना है: तरल बाहरी कोर (liquid outer core) और ठोस आंतरिक कोर ( solid inner core)। बाहरी कोर निकल, लोहा और पिघली हुई चट्टान से बना है। यहां तापमान 50,000 C तक पहुंच सकता है।