भारत को रेड सैंडर्स के लिए “CITES-रिव्यू ऑफ सिग्निफिकेंट ट्रेड (RST)” सूची से हटाया गया
वन्य जीवों और वनस्पतियों की संकटापन्न प्रजातियों केअंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) की स्थायी समिति की 77वीं बैठक ने CITES के नेशनल लेजिस्लेशन प्रोजेक्ट की श्रेणी 1 में भारत के CITES कानून को शामिल करने की पुष्टि की है।
साथ ही भारत को रेड सैंडर्स के लिए “रिव्यू ऑफ सिग्निफिकेंट ट्रेड(Review of Significant Trade: RST) प्रक्रिया से हटा दिया गया है। अवैध व्यापार की वजह से किसी देश को इस सख्त निगरानी प्रक्रिया में रखा जाता है।
गौरतलब है कि भारत को 2004 से रेड सैंडर्स के लिए “रिव्यू ऑफ सिग्निफिकेंट ट्रेड (Review of Significant Trade: RST) प्रक्रिया में रखा जाता रहा है।
इस सूची से हटाने के बाद रेड सैंडर्स उगाने वाले किसानों को बागानों से रक्त चंदन यानी रेड सैंडर्स की खेती और निर्यात के माध्यम से अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।
इससे किसानों को सतत आय के स्रोत के रूप में अधिक से अधिक रेड सैंडर्स के पेड़ उगाने के लिए प्रेरित करने में भी मदद मिलेगी।
रिव्यू ऑफ सिग्नीफिकेंट ट्रेड (RST) के बारे में
रेड सैंडर्स प्रजाति को 2004 से कमोबेश RST प्रक्रिया के लिए सूचीबद्ध किया गया था। जो देश किसी प्रजाति के मामले में CITES से जुड़े अपने दायित्वों को पूरा नहीं करते हैं उन्हें CITES-RST प्रक्रिया में शामिल कर लिया जाता है। ऐसे देशों के उस उत्पाद के व्यापार के निलंबन के रूप में अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है।
यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से CITES की स्टैंडिंग समिति किसी देश से किसी प्रजाति के निर्यात पर निगरानी बढ़ा देती है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि कन्वेंशन ठीक से लागू किया जा रहा है या नहीं।
अतीत में, इसके कारण भारत के साथ रेड सैंडर्स के व्यापार निलंबित करने की सिफारिश भी की गई थी।
रेड सैंडर्स (टेरोकार्पस सैंटालिनस) के बारे में
रेड सैंडर्स (Pterocarpus santalinus) अधिक बाजार मूल्य वाला पेड़ है। यह आंध्र प्रदेश के कुछ जिलों की एंडेमिक प्रजाति है। इसका मतलब है कि यह प्रजाति कहीं और नहीं उगाई जाती है।
यह प्रजाति 1994 से CITES के परिशिष्ट II के रूप में सूचीबद्ध है।
इस प्रजाति को अवैध कटाई और तस्करी के खतरों का सामना करना पड़ा है, जिससे प्राकृतिक जंगल इनके पेड़ कम हो गए हैं।
हालाँकि, कृत्रिम रूप से उगाये गए पेड़ (वृक्षारोपण) से प्राप्त रेड सैंडर्स की लकड़ी कानूनी निर्यात का एक बड़ा हिस्सा है।
साइट्स (CITES) के बारे में
कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एंडेंजर्ड स्पीशीज ऑफ वाइल्ड फौना एंड फ्लोरा (CITES) की स्थायी समिति की 77वीं बैठक 6 से 10 नवंबर 2023 तक जिनेवा (स्विट्जरलैंड) में आयोजित की गई थी।
भारत 1976 से CITES का पक्षकार (पार्टी) है।
CITES प्रावधान करता है कि प्रत्येक पक्षकार देश CITES के प्रावधानों को शामिल करने के लिए अपने राष्ट्रीय कानून को संशोधित करे।
CITES नेशनल लेजिस्लेशन प्रोजेक्ट के लिए भारत को श्रेणी 2 में सूचीबद्ध किया गया था।
इसलिए, वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 को वर्ष 2022 में संशोधित किया गया, जिसमें CITES के प्रावधानों को अधिनियम में शामिल किया गया।