लद्दाख में रेड ऑरोरा (SAR) परिघटना

लद्दाख में स्थापित हानले और मेराक वेधशालाओं ने हाल ही में, भारत में एक असामान्य परिघटना लाल रंग की ऑरोरा (intense red aurora) का अवलोकन किया।  इसे “स्थिर ऑरोरल रेड (Stable Auroral Red: SAR)” परिघटना कहा गया।

SAR परिघटना एक भू-चुंबकीय तूफान (geomagnetic storm) के कारण शुरू हुई थी, जो सौर तूफान के कारण पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर में एक बड़ा व्यवधान था।

मेराक पैंगोंग त्सो के तट पर स्थित है।

ऑरोरा आकाश में चमकदार रोशनी के पैटर्न हैं जो तब दिखाई देते हैं जब सूर्य द्वारा उत्सर्जित कण पृथ्वी के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र के साथ संपर्क करते हैं। यह परिघटना आमतौर पर ध्रुवों के करीब दिखाई देती है

यदि आप उत्तरी ध्रुव के निकट हैं, तो इसे ऑरोरा बोरेलिस या उत्तरी ज्योति (aurora borealis or northern lights) कहा जाता है। यदि आप दक्षिणी ध्रुव के पास हैं, तो इसे ऑरोरा ऑस्ट्रेलिस या दक्षिणी ज्योति (aurora australis or the southern lights) कहा जाता है।

गौरतलब है कि सूर्य पर सौर ज्वालाओं (solar flares) की संख्या 11 वर्ष के चक्र के दौरान बढ़ती और घटती रहती है। वर्तमान में, हम चक्र के आरोही चरण में हैं, जिसका अर्थ है कि आने वाले वर्ष में और अधिक सोलर फ्लेयर्स होने की संभावना है। चक्र के चरम पर 2025 में पहुंचने की संभावना है, जिसके बाद गतिविधि कम होने लगेगी।

नवीनतम ऑरोरल गतिविधि को कोरोनल मास इजेक्शन (Coronal Mass Ejection: CME) से जोड़ा गया है। CME सूर्य के वायुमंडल की सबसे बाहरी परत से एक विस्फोट है जो इसकी सतह से अधिक गर्म होता है। गौरतलब है कि ऑरोरा केवल पृथ्वी पर ही घटित नहीं होती है।

यदि किसी ग्रह पर वायुमंडल और चुंबकीय क्षेत्र है, तो संभवतः उसमें ध्रुवीय किरणें होंगी। वैज्ञानिकों ने वेधशालाओं के माध्यम से बृहस्पति और शनि ग्रहों पर भी अद्भुत ऑरोरा का अवलोकन किया  है।

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