कोटिगाओ-म्हादेई वन कॉम्प्लेक्स

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बॉम्बे हाई कोर्ट की गोवा बेंच ने गोवा सरकार को म्हादेई वन्यजीव अभयारण्य (Mhadei Wildlife Sanctuary) और इसके आसपास के 208 वर्ग किमी क्षेत्र क्षेत्र को म्हादेई टाइगर रिजर्व के रूप में को अधिसूचित करने का निर्देश दिया है और इसके लिए तीन महीने के भीतर एक अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिया। हालांकि ये तीन महीने बीत चुके हैं।

एक स्थानीय एनजीओ ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के अनुरोध के अनुसार वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 38 (V) (1)  के संदर्भ में राज्य में टाइगर रिजर्व को अधिसूचित करने के लिए गोवा सरकार को निर्देश देने की मांग की थी।

अदालत ने महाभारत के एक संस्कृत श्लोक “निर्वनो वध्यते व्याघ्रो निर्व्याघ्रं छिद्यते वनम्। तस्माद्व्याघ्रो वनं रक्षेद्वयं व्याघ्रं च पालयेत्” (जंगल नहीं है तो बाघ मारा जाता है; यदि बाघ न हो तो जंगल नष्ट हो जाता है। इसलिए, बाघ जंगल की रक्षा करता है, और जंगल बाघ की रक्षा करता है!”) का हवाला देते हुए बाघ संरक्षण के महत्व पर जोर दिया। 

हालांकि गोवा सरकार का तर्क है कि NTCA के अनुरोध सिफारिश प्रकृति की होती हैं न कि बाध्यकारी।

कोटिगाओ-म्हादेई वन परिसर (Cotigao-Mhadei forest complex)

मार्च 2016 में, NTCA ने सिफारिश की कि थी राज्य सरकार को कोटिगाओ-म्हादेई वन परिसर (Cotigao-Mhadei forest complex) में एक बाघ रिजर्व अधिसूचित करना चाहिए।

वर्ष 2014 की स्टेटस ऑफ टाइगर इन इंडिया रिपोर्ट के अनुसार, गोवा के कोटिगाओ-म्हादेई वन परिसर में पांच संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं: म्हादेई वन्यजीव अभयारण्य, भगवान महावीर वन्यजीव अभयारण्य और मोल्लेम राष्ट्रीय उद्यान, भगवान महावीर राष्ट्रीय उद्यान, नेत्रावली वन्य जीव अभयारण्य और कोटिगाओ वन्यजीव अभयारण्य।

ये मिलकर 750 वर्ग मीटर के क्षेत्र को कवर करते हैं, जो कर्नाटक और महाराष्ट्र के जंगलों को जोड़ने वाली एक सन्निहित बेल्ट बनाते हैं।

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