इसबगोल (Isabgol): प्रमुख तथ्य
नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (NCEL) के लॉन्च के साथ, देश में सहकारी समितियां किसानों तथा दुग्ध उत्पादों, इसबगोल (Psyllium), जीरा, इथेनॉल और विभिन्न प्रकार के जैविक उत्पादों की वैश्विक मांग के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करेगी।
इसबगोल/ Isabgol (प्लांटागो ओवाटा)
इसबगोल/ Isabgol (प्लांटागो ओवाटा/Plantago ovata) प्लांटागिनेसी फैमिली से संबंधित एक महत्वपूर्ण वार्षिक, छोटे तने वाली व्यावसायिक औषधीय पौधा है। इस नाम की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों, ‘एस्प’ और ‘घोल’ से हुई है, जो घोड़े के कान को संदर्भित करता है क्योंकि इसके बीज घोड़े के कान जैसा दिखता है, और यह नाव के आकार के बीज को भी संदर्भित करता है।
इसबगोल भारत और भूमध्यसागरीय देशों की मूल प्रजाति है, वैसे इसकी खेती दुनिया के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर की जाती है।
इसबगोल के बीज में कोलाइडल म्यूसिलेज (epicarp of seed) होता है, एक ट्रांसलूसेंट मेम्ब्रेन जिसे आमतौर पर सफेद भूसी (white husk) के रूप में जाना जाता है, जो गंधहीन और स्वादहीन होती है और वजन के आधार पर बीज का लगभग 30% होता है।
इसबगोल मुख्य रूप से अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है जैसे कि पाचन में मदद करता है, कब्ज से राहत देता है, दस्त का इलाज करता है, कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है, तृप्ति को बढ़ाता है और वजन घटाने में सहायता करता है।
वर्ल्ड मार्किट में इसबगोल के बीज और भूसी के उत्पादन और निर्यात में भारत विश्व बाजार में अग्रणी है। दरअसल अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसबगोल के बीज और भूसी के उत्पादन और निर्यात में भारत का एकाधिकार है।
भारत का औसत वार्षिक उत्पादन 120,000 टन है। भारत विश्व बाजार में लगभग 80% इसबगोल भूसी पाउडर का उत्पादन करता है और भारत का लगभग 90-95% इसबगोल उत्पादन निर्यात किया जाता है।
इसबगोल के अंतिम उत्पादों के प्रमुख आयातक यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, चीन, फ्रांस और नॉर्वे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका ईसबगोल के बीज और भूसी का मुख्य आयातक है, उसके बाद पश्चिमी यूरोप है, और इसका लगभग 90% उत्पादन इन देशों में निर्यात किया जाता है।