राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन

भारत और कनाडा के बीच चल रहे गतिरोध के बीच, कनाडाई सरकार ने घोषणा की कि उसने भारत में तैनात 41 राजनयिकों और उनके परिवार के सदस्यों को वापस बुला लिया है। इस मुद्दे पर कनाडाई सरकार ने राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन का भी हवाला दिया।

राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन

राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन (1961) (Vienna Convention on Diplomatic Relations) एक संयुक्त राष्ट्र संधि है जो देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध सुनिश्चित करने , उचित संवाद चैनल बनाए रखने तथा देशों को एक-दूसरे के राजनयिक प्रतिनिधियों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, से संबंधित कुछ सामान्य सिद्धांत और शर्तें निर्धारित करती है।

ऐसे सिद्धांतों का एक प्रमुख उदाहरण राजनयिक उन्मुक्ति (diplomatic immunity) का है। यह राजनयिकों को उस देश द्वारा दी गई कुछ कानूनों और करों से उन्मुक्ति का विशेषाधिकार है जहां वे तैनात हैं।

से इसलिए बनाया गया है ताकि राजनयिक अपने तैनाती वाले देश में डर, खतरे या धमकी के बिना काम कर सकें

राजनयिक उन्मुक्ति दो कन्वेंशंस से प्राप्त होती हैं, जिन्हें लोकप्रिय रूप से वियना कन्वेंशन (Vienna Conventions) कहा जाता है। ये हैं: 1961 कन्वेंशन और कॉन्सुलर रिलेशंस कन्वेंशन 1963।

1961 कन्वेंशन कहता है, “अनुच्छेद 29: एक राजनयिक एजेंट का पद अनुल्लंघनीय होगा। उसे तैनाती वाले देश में किसी भी प्रकार से गिरफ्तारी या हिरासत में नहीं लिया जायेगा। होस्ट देश  उसके साथ उचित सम्मान के साथ व्यवहार करेगा और उसके व्यक्तित्व, स्वतंत्रता या गरिमा पर किसी भी हमले को रोकने के लिए सभी उचित कदम उठाएगा।”

आज, 193 देशों ने इस कन्वेंशन की अभिपुष्टि  की है, जिसका अर्थ है कि वे सहमत हैं कि यह उन पर कानूनी रूप से बाध्यकारी होगी। अभिपुष्टि का अर्थ है कि किसी देश को घरेलू स्तर पर संधि के लिए मंजूरी लेनी चाहिए और इसे प्रभावी बनाने के लिए अपने देश में एक कानून बनाना चाहिए।

भारत ने राजनयिक संबंध (वियना कन्वेंशन) अधिनियम 1972 के माध्यम से इसकी अभिपुष्टि  की है।

राजनयिक स्टाफ अवांछित होना

कन्वेंशन के अनुच्छेद 9 में कहा गया है कि राजनयिक का होस्ट देश, किसी भी समय और अपने निर्णय का विवरण दिए बिना, राजनयिक तैनात करने वाले देश को सूचित कर सकता है कि मिशन का प्रमुख या मिशन के राजनयिक स्टाफ का कोई भी सदस्य अवांछित है। ऐसे किसी भी मामले में, राजनयिक भेजने वाले देश, जैसा उचित हो, या तो संबंधित व्यक्ति को वापस बुला लेगा या मिशन के साथ उसके कार्यों को समाप्त कर देगा। यदि भेजने वाला देश उचित अवधि के भीतर अपने दायित्वों को पूरा करने से इनकार करता है या विफल रहता है, यानी यदि वे अपने राजनयिकों को वापस बुलाने से इनकार करते हैं, तो प्राप्तकर्ता देश संबंधित व्यक्ति को मिशन के सदस्य के रूप में मान्यता देने से इनकार कर सकता है अर्थात वह अपनी राजनयिक उन्मुक्ति खो देगा।

मिशन में व्यक्तियों की संख्या

अनुच्छेद 11 कहता है, “मिशन में व्यक्तियों की संख्या के संबंध में विशिष्ट समझौते के अभाव में, देशों से अपेक्षा होगी कि वे अपने राजनयिक मिशन में उचित और सामान्य मानी जाने वाली संख्या  के भीतर राजनयिकों को तैनात करे।” 

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