रोगों का अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण (ICD-11) और पारंपरिक चिकित्सा
रोगों का अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण (International Classification of Diseases: ICD) विश्व में विभिन्न जगहों और विभिन्न समयों में बीमारी की वजह से मृत्यु और उसके कारणों पर तुलनात्मक आंकड़ा प्रदान करता है।
यह वर्गीकरण 19वीं सदी में शुरू हुआ था, और ICD का नवीनतम संस्करण, ICD-11 है जिसे 2019 में 72वीं विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा अपनाया गया और यह 1 जनवरी 2022 को लागू हुआ।
ICD-11 लीगली मैंटेड स्वास्थ्य डेटा मानक है।
ICD का रखरखाव विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण विश्व स्तर पर स्वास्थ्य और स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों को रिकॉर्ड करने और रिपोर्ट करने का कार्य करता है।
ICD में बीमारियां, विकार, स्वास्थ्य स्थितियों और बहुत कुछ शामिल है।
पहली बार ICD-11 में पारंपरिक चिकित्सा सेवाओं को शामिल किया गया है।
पारंपरिक चिकित्सा (Traditional medicine)
पारंपरिक चिकित्सा (Traditional medicine) कई देशों में स्वास्थ्य देखभाल का हिस्सा रही है। पारंपरिक चिकित्सकों, पारंपरिक ज्ञान और पारंपरिक दवाओं का उल्लेख प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर अल्मा-अता घोषणा 1978 (Declaration of Alma-Ata) और अस्ताना घोषणा (Declaration of Astana) में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के प्रावधान के हिस्से के रूप में किया गया है।
रोगों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण-11 (ICD-11) में पारंपरिक चिकित्सा के लिए एक अलग अध्याय है। इसके मॉड्यूल-1 में प्राचीन चीन में उत्पन्न पारम्परिक चिकित्सा पद्धतियों का उल्लेख है जिनका अब आमतौर पर चीन, जापान, कोरिया और दुनिया भर में अन्य जगहों पर उपयोग की जाती है।
पारंपरिक चिकित्सा संबंधी अध्याय किसी भी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति की वैज्ञानिक वैधता या किसी पारंपरिक चिकित्सा हस्तक्षेप की प्रभावकारिता का न तो मूल्यांकन है और न ही इसका सत्यापन है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, यह भविष्य में पारंपरिक चिकित्सा के अन्य प्रमुख रूपों को वर्गीकृत करने वाले अतिरिक्त मॉड्यूल विकसित कर सकता है। आयुर्वेद और संबंधित पारंपरिक चिकित्सा निदान प्रणालियों से प्राप्त मॉड्यूल 2 का विकास शुरू हो गया है।