हाइली पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लुएंजा (HPAI)
विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) ने स्पेसिफिक पोल्ट्री कंपार्टमेंटों में हाइली पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लुएंजा (Highly Pathogenic Avian Influenza : HPAI) से मुक्ति की भारत की स्व-घोषणा को मंजूरी दे दी है।
पशुपालन और डेयरी विभाग ने 13 अक्टूबर को WOAH को 26 पोल्ट्री कंपार्टमेंटों में HPAI से मुक्ति की स्व-घोषणा प्रस्तुत की।
ज़ोनिंग और कंपार्टमेंटलाइज़ेशन (Zoning and compartmentalisation) रणनीतिक इंस्ट्रूमेंट्स हैं जिनका उपयोग अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और बीमारी की रोकथाम या नियंत्रण के उद्देश्यों के लिए विशिष्ट रोगों वाले जानवरों के समूहों की पहचान करने और बनाए रखने के लिए किया जाता है।
कंपार्टमेंटलाइज़ेशन में राष्ट्रीय क्षेत्र के भीतर एक निर्दिष्ट स्वास्थ्य स्थिति वाले जानवरों की उप-आबादी को परिभाषित करना शामिल है।
इस स्थिति का रखरखाव कड़े प्रबंधन और नियमों के पर निर्भर करता है जो WOAH टेरेस्ट्रियल कोड में उल्लिखित मानकों और विशिष्ट डिजीज चैप्टर से संबंधित सिफारिशों का पालन करते हैं।
हाइली पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लुएंजा
HPAI, जिसे आमतौर पर बर्ड फ्लू के रूप में जाना जाता है, भारत में पहली बार फरवरी 2006 में महाराष्ट्र में पाया गया था। तब से, देश के विभिन्न क्षेत्रों में HPAI के इसके मामले दर्ज किये गए हैं, जिससे काफी आर्थिक नुकसान हुआ है।
यह बीमारी 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रिपोर्ट की गई है, जिसके परिणामस्वरूप इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिए नौ मिलियन से अधिक पक्षियों को मार दिया गया है।
विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH)
विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) की स्थापना 1924 में मई 2003 में ऑफिस इंटरनेशनल डेस एपिज़ूटीज़ (OIE) के रूप में की गई थी।
एक अंतर-सरकारी संगठन के रूप में, यह पशु रोगों पर पारदर्शी रूप से जानकारी प्रसारित करने, विश्व स्तर पर पशु स्वास्थ्य में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित करता है। इस संगठन की स्थापना रिंडरपेस्ट नामक मवेशी प्लेग के मामले सामने आने के बाद की गई थी।