गुजरात सरकार ने कोनोकार्पस पौधों के उगाने पर प्रतिबंध लगाया

गुजरात सरकार ने “पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव” का हवाला देते हुए, वन या गैर-वन क्षेत्रों में सजावटी कोनोकार्पस पेड़ों (Conocarpus trees) के रोपण पर प्रतिबंध लगा दिया है।

इससे पहले, तेलंगाना ने भी इस पौधे की प्रजातियों पर प्रतिबंध लगा दिया था।

कोनोकार्पस तेजी से बढ़ने वाली विदेशी मैंग्रोव प्रजाति है। हाल के वर्षों में गुजरात में ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए यह पौधा एक लोकप्रिय विकल्प रही है।

गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में, दिल्ली और केरल ने ऐसे विदेशी पौधों की वृद्धि को नियंत्रित करने की कोशिश की है जो अपनी प्रचुरता के कारण स्थानीय पर्यावरण और वनस्पतियों और जीवों को नुकसान पहुंचा रहे थे।

2018 में, दिल्ली सरकार कार्यकर्ताओं की वर्षों की अपील और अदालती मामलों के बाद राजधानी के सेंट्रल रिज में विलायती किकर को साफ़ करने का आदेश दिया था।

विलायती किकर (प्रोसोपिस जूलिफ्लोरा/Prosopis juliflora) दिल्ली की नेटिव प्रजाति नहीं है, और 1930 के दशक में अंग्रेजों द्वारा शहर में लाया गया था।

केरल के मामले में भी, अंग्रेजों ने यूकेलिप्टस (Eucalyptus) के पेड़ को मुन्नार लाए थे, ताकि इसके काष्ठ का उपयोग चाय बागान बॉयलरों में ईंधन के रूप में किया जा सके। राज्य वन विभाग ने 2018 में वन क्षेत्रों में बबूल और यूकेलिप्टस की खेती बंद कर दी।

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