EXPLAINED: संसद का विशेष सत्र
हाल ही में, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री ने घोषणा की कि संसद का एक “विशेष सत्र” 18 से 22 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा। बता दें कि भारत की संसद की बैठकों के आयोजन का कोई निश्चित कैलेंडर नहीं है।
संविधान में “विशेष सत्र” (special session) टर्म का प्रयोग नहीं किया गया है। यह टर्म कभी-कभी उन सत्रों को कहा जाता है जिन्हें सरकार विशेष अवसरों के लिए बुलाती है, जैसे संसदीय या राष्ट्रीय उपलब्धि का स्मरणोत्सव।
1955 में, लोकसभा की एक समिति ने संसदीय सत्रों के लिए एक समय सारिणी प्रस्तावित की थी। इसने सिफारिश की कि संसद का बजट सत्र 1 फरवरी से शुरू हो और 7 मई तक चले, और मानसून सत्र 15 जुलाई को शुरू हो और 15 सितंबर को समाप्त हो। समिति ने सुझाव दिया कि शीतकालीन सत्र, जो वर्ष का आखिरी सत्र होगा, 5 नवंबर को शुरू हो (या दिवाली के चौथे दिन, जो भी बाद में हो) और 22 दिसंबर को समाप्त होगा।
हालांकि सरकार इस कैलेंडर पर सहमत थी, लेकिन इसे कभी लागू नहीं किया गया।
संसदीय सत्र की तारीख और अवधि सरकार निर्धारित करती है। इस पर फैसला संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी लेती है। संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी के अनुरोध पर, राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 85(1) के प्रावधानों के अनुसार एक नियमित संसदीय सत्र बुलाते हैं।
अनुच्छेद 85(1) में कहा गया है कि “राष्ट्रपति समय-समय पर संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर बैठक के लिए बुलाएंगे जैसा वह उचित समझे, लेकिन एक सत्र की अंतिम बैठक और अगले सत्र की पहली बैठक की तारीख के बीच छह महीने से अधिक का अंतराल नहीं होगा।”
संविधान निर्माताओं ने इसे 1935 के भारत सरकार अधिनियम से उधार लिया था। भले ही संविधान छह महीने की अवधि में दो सत्रों को अनिवार्य करता है, लेकिन यह प्रावधान केवल न्यूनतम संसदीय बैठक सुनिश्चित करने के लिए है।
इस अनुच्छेद के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा आवश्यकता पड़ने पर सदन की बैठक बुलाने का प्रावधान है, और यह प्रावधान संसद को बार-बार बैठक करने से प्रतिबंधित नहीं करता है।
2008 में भी जब वाम दलों ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, तब विश्वास मत के लिए लोक सभा का विशेष सत्र बुलाया गया था. भारत छोड़ो आंदोलन या भारत की आजादी के 50 सालों से राष्ट्रीय मील के पत्थर को मनाने के लिए कई विशेष सत्र और संयुक्त बैठकें भी बुलाई गई।
इससे पहले मिडनाइट बैठक 14-15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर, भारत की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए 15 अगस्त 1997 को ; 9 अगस्त 1992 को भारत छोड़ो आंदोलन की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर; 15 अगस्त 1972 को स्वतंत्रता की रजत जयंती मनाने के लिए आयोजित की गयी थी।