मदन लाल ढींगरा (Madan Lal Dhingra)
मदन लाल ढींगरा (Madan Lal Dhingra) को फांसी दिए जाने की 114वीं बरसी पर अमृतसर के गोलबाग इलाके में उनके नाम पर एक स्मारक का औपचारिक उद्घाटन किया जा रहा है।
- मदन लाल ढींगरा एक भारतीय क्रांतिकारी थे, जिन्हें ब्रिटिश अधिकारी कर्जन वायली की हत्या के आरोप में 17 अगस्त, 1909 को केवल 24 वर्ष की आयु में फाँसी दे दी गई थी।
- लंदन में पढ़ाई के दौरान, ढींगरा विनायक दामोदर सावरकर और श्यामजी कृष्ण वर्मा के संपर्क में आए, जो शहर में क्रांतिकारी हलकों में सक्रिय थे। वह विनायक सावरकर और उनके भाई गणेश द्वारा स्थापित अभिनव भारत मंडल (Abhinav Bharat Mandal) के सदस्य बन गए। यहीं पर ढींगरा की कर्जन वायली की हत्या की अंतिम योजना साकार हुई थी।
- 1 जुलाई, 1909 को, ढींगरा ने इंपीरियल इंस्टीट्यूट, लंदन में इंडियन नेशनल एसोसिएशन द्वारा आयोजित वार्षिक ‘एट होम’ समारोह में भाग लिया। उस समय भारत के राज्य सचिव के राजनीतिक सहयोगी के रूप में चुने गए कर्जन वायली भी अपनी पत्नी के साथ समारोह में उपस्थित थे।
- जब वह समारोह छोड़ रहे थे, ढींगरा ने कर्जन वायली पर पांच गोलियां चलाईं, जिनमें से चार निशाने पर लगीं और उसकी मौत हो गयी।
- ढींगरा को दोषी ठहराया गया और 17 अगस्त, 1909 को लंदन की पेंटोविले जेल में फाँसी दे दी गई।
- ढींगरा को लंदन में दफनाया गया और उनके अवशेष 1976 में भारत वापस लाया गया। उनका अंतिम संस्कार उस वर्ष अमृतसर के माल मंडी क्षेत्र में किया गया, और उनके अंतिम संस्कार के स्थान पर एक मूर्ति स्थापित की गई।