“वाराणसी पश्मीना” लॉन्च किया गया
वाराणसी के अत्यधिक कुशल खादी बुनकरों द्वारा तैयार किए गए पश्मीना उत्पादों को वाराणसी (Banarasi Pashmina) में केवीआईसी के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना ने लॉन्च किया।
- यह पहला अवसर है जब पश्मीना उत्पाद लेह-लद्दाख क्षेत्र तथा जम्मू और कश्मीर से बाहर तैयार किए जा रहे हैं। केवीआईसी अपने शोरूमों, दुकानों तथा ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से “मेड इन वाराणसी” पश्मीना उत्पादों की बिक्री करेगा।
- पश्मीना आवश्यक कश्मीरी कला के रूप में विख्यात है, लेकिन देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी में फिर से इसकी खोज अनेक दृष्टि से अनूठी है।
- वाराणसी में पश्मीना उत्पादन की यह यात्रा लद्दाख से कच्ची पश्मीना ऊन के संग्रह से प्रारंभ होती है। इसे डी-हेयरिंग, सफाई और प्रसंस्करण के लिए दिल्ली लाया जाता है।
- प्रसंस्कृत ऊन को रोविंग रूप में वापस लेह लाया जाता है जहां केवीआईसी द्वारा उपलब्ध कराए गए आधुनिक चरखों पर महिला खादी शिल्पियों दवारा इसे सूत का रूप दिया जाता है। यह तैयार सूत फिर वाराणसी भेजा जाता है जहां इसे प्रशिक्षित खादी बुनकरों द्वारा अंतिम पश्मीना उत्पाद के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
- प्रामाणिकता और अपनत्व की निशानी के रूप में वाराणसी के बुनकरों द्वारा तैयार पश्मीना उत्पादों पर बुनकरों के नाम और वाराणसी शहर के नाम को अंकित किया जाएगा।
चांगरा या चांगथांगी
- पश्मीना एक पशु फाइबर है, जो लद्दाख के चांगरा बकरी से प्राप्त होता है। चांगरा या चांगथांगी ( Changra or Changthangi goats) बकरियों को विशेष रूप से लद्दाख की खानाबदोश चांगपा जनजातियों द्वारा पाला जाता है, और फिर इसे कश्मीरी कारीगरों के हाथों परिष्कृत किया जाता है और बाद में दुनिया के बाकी हिस्सों द्वारा निर्यात और उपभोग किया जाता है।