चीन का निर्यात नियंत्रण: क्या हैं गैलियम (Ga) और जर्मेनियम (Ge)?

क्रिटिकल मिनरल्स के दुनिया के अग्रणी उत्पादकों में से एक, चीन ने  दो प्रौद्योगिकी-महत्वपूर्ण तत्वों, गैलियम (gallium : Ga) और जर्मेनियम (germanium : Ge) पर निर्यात नियंत्रण की घोषणा की।

इस घोषणा ने वैश्विक स्तर पर शॉकवेव फैला दिया है।  हालाँकि यह निर्णय पश्चिमी देशों द्वारा हाल में उठाये गए कदमों के  प्रतिशोध के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन यह न केवल भारत की सेमीकंडक्टर हब बनने की महत्वाकांक्षा को प्रभावित कर सकता है, बल्कि इसके छलांग लगाते  दूरसंचार और इलेक्ट्रिक व्हीकल उद्योगों को भी प्रभावित करने की आशंका है।

गैलियम (Gallium) और जर्मेनियम (Germanium)

ये दोनों तत्व चांदी सदृश सफ़ेद हैं और आमतौर पर “माइनर मिनरल्स” के रूप में वर्गीकृत किये जाते हैं।

ये दोनों धातुएं आमतौर पर प्राकृतिक रूप में प्राप्त नहीं होते हैं। वे जस्ता या एल्यूमिना जैसे अन्य, अधिक मुख्यधारा के कच्चे माल पर केंद्रित रिफाइनरियों से बाय-प्रोडक्ट के रूप में छोटी सांद्रता में उत्पादित होते हैं।

जर्मेनियम अयस्क दुर्लभ हैं और अधिकांश जर्मेनियम जिंक उत्पादन और कोयला फ्लाई ऐश का उप-उत्पाद है।

चीन दुनिया का लगभग 60% जर्मेनियम उत्पादन  करता है।

जर्मेनियम के उपयोगों में फाइबर-ऑप्टिक संचार, नाइट विज़न चश्मे और अंतरिक्ष अन्वेषण शामिल हैं – अधिकांश उपग्रह जर्मेनियम-आधारित सोलर सेल से संचालित होते हैं।

गैलियम जिंक अयस्कों और बॉक्साइट में थोड़ी मात्रा में पाया जाता है, और एल्यूमीनियम बनाने के लिए बॉक्साइट को संसाधित करते समय गैलियम धातु का उत्पादन होता है।

लगभग 80% उत्पादन चीन में होता है।

गैलियम का उपयोग कंपाउंड सेमीकंडक्टर में किया जाता है, जो टीवी और मोबाइल फोन स्क्रीन, सौर पैनल और रडार में ट्रांसमिशन गति और दक्षता में सुधार के लिए कई तत्वों को जोड़ता है।

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