ब्लू ओशन इवेंट (Blue Ocean Event)

नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार उत्तरी ध्रुव यानी आर्कटिक महासागर (Arctic Ocean) 2030 के दशक तक गर्मियों में बर्फ मुक्त हो सकता है, भले ही हम अब और तब के बीच उत्सर्जन को कम करने का कितने भी प्रयास करें।  

इस परिघटना को कभी-कभी “ब्लू ओशन इवेंट” (Blue Ocean Event) कहा जाता है और इसे तब परिभाषित किया जाता है जब समुद्री बर्फ का क्षेत्र 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर से नीचे चला जाता है।

पृथ्वी के किसी भी अन्य हिस्से की तुलना में आर्कटिक की जलवायु तेजी से गर्म हो रही है। चूँकि यह जलवायु परिवर्तन के प्रत्यक्ष प्रभाव में है, इसलिए कई वैज्ञानिकों और स्थानीय मूल निवासियों की नज़र समुद्री बर्फ पर है जो सर्दियों में आर्कटिक महासागर के अधिकांश हिस्से को ढक लेती है।

जमे हुए समुद्री जल की यह पतली परत  मौसम बदलने के साथ  फैलती और सिकुड़ती रहती है, जो हर साल सितंबर में न्यूनतम क्षेत्र तक पहुंच जाती है।

गर्मियों के अंत में जो बर्फ बची रहती है उसे बहुवर्षीय समुद्री बर्फ (multiyear sea ice) कहा जाता है और यह अपने मौसमी बर्फ की तुलना में काफी मोटी होती है। यह समुद्र और वायुमंडल के बीच नमी और गर्मी दोनों के ट्रांसफर में बाधा के रूप में कार्य करता है।

आर्कटिक समुद्री बर्फ जलवायु प्रणाली का एक महत्वपूर्ण घटक है। चूंकि यह समुद्र द्वारा अवशोषित सूर्य के प्रकाश की मात्रा को नाटकीय रूप से कम कर देता है, इसलिए इस बर्फ के हटने से और अधिक वार्मिंग बढ़ जायेगी। इसके परिणामस्वरूप, ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर तेजी से पिघलेगी, जो पहले से ही समुद्र के स्तर में वृद्धि में प्रमुख योगदान दे रहा है।

गर्मियों में समुद्री बर्फ के नष्ट होने का मतलब वायुमंडलीय परिसंचरण और तूफान के रास्तों में बदलाव और समुद्र की जैविक गतिविधि में बुनियादी बदलाव भी होगा।  

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