वैश्विक दासता सूचकांक 2023: 49.6 मिलियन लोग आधुनिक दासता में जी रहे हैं
वैश्विक दासता सूचकांक 2023 (Global Slavery Index 2023: GSI) के अनुसार, लगभग 49.6 मिलियन लोग आधुनिक दासता (modern slavery) में जी रहे हैं, जिनमें से 11 मिलियन भारत में हैं।
प्रमुख तथ्य
यह GSI का पांचवां संस्करण है और यह 2022 के अनुमानों पर आधारित है। पिछले चार संस्करण 2013, 2014, 2016 और 2018 में प्रकाशित हुए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में किसी भी दिन अनुमानित 50 मिलियन लोग आधुनिक दासता में रह रहे थे, जो 2016 के बाद से 10 मिलियन अधिक है।
इन 50 मिलियन में (जिनमें से 12 मिलियन बच्चे हैं), 28 मिलियन जबरन श्रम और 22 मिलियन जबरन विवाह की श्रेणी में आते हैं।
वे देश जो आधुनिक दासता के प्रसार के मामले में शीर्ष पर हैं (प्रति 1,000 जनसंख्या पर आधुनिक दासता की संख्या): उत्तर कोरिया, इरिट्रिया, मॉरिटानिया, सऊदी अरब, तुर्की, ताजिकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, रूस, अफगानिस्तान और कुवैत।
वे देश जहां आधुनिक दासता के सबसे कम मामले हैं: स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, जर्मनी, नीदरलैंड, स्वीडन, डेनमार्क, बेल्जियम, आयरलैंड, जापान और फिनलैंड।
वे देश जहां आधुनिक दासता में रहने वाले लोगों की संख्या सर्वाधिक है: भारत, चीन, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, रूस, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, तुर्की, बांग्लादेश और अमेरिका।
वैश्विक दासता सूचकांक (GSI) के बारे में
ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स (GSI) 160 देशों के लिए आधुनिक दासता का राष्ट्रीय अनुमान प्रदान करता है।
यह मानवाधिकार संगठन “वॉक फ्री” द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
आधुनिक दासता शोषण की उन को संदर्भित करती है जिसे कोई व्यक्ति धमकी, हिंसा, जबरदस्ती, धोखे या बल के दुरुपयोग के कारण शोषित होने के लिए बाध्य होता है।
आधुनिक दासता में जबरन मजदूरी, जबरन शादी, ऋण जाल, यौन शोषण, मानव तस्करी, दासता जैसी प्रथाएं, और बच्चों की बिक्री और शोषण जैसे दुर्व्यवहार शामिल हैं।