कवच: स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली
ओडिशा के बालासोर में कोरोमंडल ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से भारतीय रेलवे द्वारा यात्रा की सुरक्षा एक बार फिर से सवालों के घेरे में आ गई है। इसे दुर्घटना में 288 लोग मारे गए और 900 से अधिक घायल हो गए। यह हादसा 2 जून को ओडिशा के बालासोर में हुआ था।
हावड़ा जा रही शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस के करीब 10 से 12 डिब्बे पटरी से उतर गए और बगल के ट्रैक पर गिर गए। भारतीय रेलवे ने कहा कि इस रेलमार्ग पर ‘कवच’ (Kavach) प्रणाली नहीं लगाई गयी थी, जो एक्सप्रेस ट्रेनों को टक्कर से रोक सकती थी।
कवच के बारे में
कवच एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (Automatic Train Protection: ATP) प्रणाली है। रेलवे 2012 से ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली (Train Collision Avoidance System: TCAS) के रूप में अपनी स्वयं की स्वचालित सुरक्षा प्रणाली विकसित कर रहा है, जिसे ‘कवच’ (Kavach) नाम दिया गया है।
अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा तीन भारतीय वेंडर्स के सहयोग से विकसित कवच को भारतीय रेलवे के लिए राष्ट्रीय ATP प्रणाली के रूप में अपनाया गया है।
यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस का एक सेट है, जो लोकोमोटिव, सिग्नलिंग सिस्टम के साथ-साथ पटरियों पर भी स्थापित किये जाते है, जो ट्रेनों के ब्रेक को नियंत्रित करने के लिए अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी का उपयोग करके एक दूसरे से सामवेद करते हैं और ड्राइवरों को अलर्ट भी करते हैं।
इसकी एक विशेषता यह है कि यह ट्रेन की आवाजाही की जानकारी को लगातार अपडेट करके, लोको पायलट द्वारा सिग्नल जंप करने पर ट्रिगर भेजने में सक्षम होता है, जिसे सिग्नल पास्ड एट डेंजर (Signal Passed at Danger: SPAD) कहा जाता है। य
ह उपकरण लोकोमोटिव के आगे के संकेतों को लगातार रिले करते हैं, जिससे लोको पायलटों के लिए कम दृश्यता स्थिति में, विशेष रूप से घने कोहरे के दौरान उपयोगी साबित होता है।
4 मार्च 2022 को कवच का सफल परीक्षण दक्षिण मध्य रेलवे के गुल्लागुड़ा-चिटगिड्डा रेलवे स्टेशनों के बीच किया गया। यह एक सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल 4 (SIL-4) प्रमाणित तकनीक है जिसमें 10,000 वर्षों में एक त्रुटि होने की संभावना है।