राजस्थान में सॉल्ट केवर्न-आधारित स्ट्रेटेजिक आयल रिज़र्व बनाने की संभावना पर विचार
सरकारी स्वामित्व वाली कंसल्टेंसी फर्म इंजीनियर्स इंडिया (EIL) राजस्थान में सॉल्ट केवर्न-आधारित स्ट्रेटेजिक आयल रिज़र्व (salt cavern-based strategic oil reserves) स्थापित करने की संभावनाओं और व्यवहार्यता का अध्ययन कर रही है।
यदि यह विचार फलीभूत होता है, तो भारत को अपनी सॉल्ट केवर्न-आधारित तेल भंडारण सुविधा मिल सकती है।
सॉल्ट केवर्न-आधारित स्ट्रेटेजिक आयल रिज़र्व के बारे में
भूमिगत रॉक गुफाओं के विपरीत, जो उत्खनन के माध्यम से विकसित की जाती हैं, भूमिगत नमक की गुफाओं (salt caverns) को सोल्युशन माइनिंग की प्रक्रिया द्वारा विकसित किया जाता है, जिसमें नमक को घोलने के लिए नमक के भंडार वाली भूगर्भीय संरचनाओं में पानी पंप की जाती है।
ब्राइन (पानी में घुले हुए नमक) को फॉर्मेशन से बाहर निकालने के बाद, उस जगह का इस्तेमाल कच्चे तेल को स्टोर करने के लिए किया जा सकता है।
खनन के माध्यम से बनाई गई रॉक गुफाओं को विकसित करने की तुलना में सॉल्ट केवर्न की प्रक्रिया सरल, तेज और कम लागत वाली है।
साल्ट कैवर्न-आधारित तेल भंडारण सुविधाएं भी स्वाभाविक रूप से अच्छी तरह से सील होती हैं।
भारत की रणनीतिक तेल भंडारण सुविधाएं
देश की तीन मौजूदा रणनीतिक तेल भंडारण सुविधाएं – कर्नाटक में मंगलुरु और पाडुर में, और आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम में स्थित हैं। ये चट्टानी गुफाओं को तोड़कर बनाई गयी हैं।
भारत में वर्तमान में 5.33 मिलियन टन की रणनीतिक तेल भंडारण (strategic oil reserves) क्षमता है, जो लगभग 9.5 दिनों की मांग को पूरा कर सकती है।
बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी IEA के सदस्य देशों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि वे 90 दिनों के नेट आयात के बराबर तेल स्टॉक स्तर बनाकर रखें और वैश्विक तेल बाजार को प्रभावित करने वाले गंभीर आपूर्ति व्यवधानों से निपटने के लिए सामूहिक कदम के लिए तैयार रहें।
भारत दो स्थानों – ओडिशा में चंडीखोल (4 मिलियन टन) और पाडुर (2.5 मिलियन टन) में रणनीतिक तेल भंडारण का निर्माण कर रहा है जिससे भारत में संचयी भंडारण क्षमता बढ़कर 6.5 मिलियन टन हो जायेगी।
भारत के रणनीतिक तेल भंडार पेट्रोलियम मंत्रालय के विशेष प्रयोजन वाहन भारतीय सामरिक पेट्रोलियम रिजर्व (ISPRL) के अंतर्गत आते हैं।