कर्नाटक उच्च न्यायालय ने नेक्रोफिलिया को अपराध बनाने के लिए IPC में संशोधन करने के सिफारिश की है

हाल में  कर्नाटक के उच्च न्यायालय ने  केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि वह अप्राकृतिक यौन संबंध के अपराध की परिभाषा के तहत नेक्रोफिलिया (Necrophilia) शामिल करने के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) में संशोधन करे या नेक्रोफिलिया को अपराध के रूप में शामिल करने के लिए IPC में नया प्रावधान पेश करे।

बता दें महिला के मृत शरीर के साथ यौन उत्पीड़न को  नेक्रोफिलिया  कहा जाता है।  यू

यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के कानूनों का उल्लेख करते हुए, जहां नेक्रोफिलिया एक अपराध है, अदालत ने कहा कि दुर्भाग्य से भारत में गरिमा बनाए रखने और सुरक्षा के उद्देश्य से IPC  के प्रावधानों के तहत  नेक्रोफिलिया को अपराध बनाने वाला कोई विशिष्ट कानून नहीं बनाया गया है।  

खंडपीठ ने 25 वर्षीय महिला की हत्या के बाद उसके साथ दुष्कर्म के आरोप से एक व्यक्ति को बरी करते हुए यह आदेश पारित किया।

तुमकुरु की निचली अदालत ने उस व्यक्ति को एक महिला की हत्या करने और उसकी मृत शरीर का यौन उत्पीड़न करने का दोषी ठहराया था। हालांकि उच्च न्यायालय ने हत्या के लिए उसकी सजा की पुष्टि की, लेकिन बलात्कार के आरोप संबंधी सजा को रद्द कर दिया, यह कहते हुए कि मृत शरीर के साथ यौन उत्पीड़न के कुकृत्य को  IPC की धारा 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) और 376 (बलात्कार) के तहत बलात्कार नहीं कहा जा सकता है।

न्यायालय ने कहा कि दुर्भाग्य से  IPC के इन प्रावधानों में ‘मृत शरीर’ शब्द शामिल नहीं है, ऐसे में शव के साथ यौन उत्पीड़न  आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार के प्रावधान को आकर्षित नहीं करता है।

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