एवरग्रीनिंग ऑफ लोन/ज़ोंबी लोन
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने “एवरग्रीनिंग ऑफ लोन” (Evergreening of loans) के लिए नए-नए तरीकों को अपनाने वाले बैंकों को आगाह किया है।
बता दें कि बैंक दबावग्रस्त ऋणों को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) में बदलने से रोकने के लिए “एवरग्रीनिंग ऑफ लोन” का सहारा ले रहे हैं। इसके तहत कॉरपोरेट्स को दिए ऋण के स्ट्रेस्ड हो जाने की स्थिति में कॉरपोरेट्स के साथ मिलीभगत में उसे छिपाने का प्रयास किया जाता है और एक कृत्रिम स्वच्छ छवि पेश करने की जाती है।
बैंकों की निगरानी के दौरान, RBI ने कुछ ऐसे मामले देखे जिनमें बैंक तनावग्रस्त ऋणों की वास्तविक स्थिति को छिपाने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे थे।
इस तरह के (एवरग्रीनिंग) तरीकों में दो ऋणदाता एक-दूसरे के ऋणों को बिक्री और ऋण इंस्ट्रूमेंट की पुनर्खरीद कर लोन को एवरग्रीन बनाये रखते हैं।
इसके अलावा स्ट्रेस्ड लोन को छिपाने के लिए ऐसे ऋणों के कर्जदार के साथ किसी अच्छे कर्जदारों को समझौता के लिए राजी किया जाता है।
RBI के सामने ऐसे मामले आए हैं जहां विनियामक संस्था द्वारा इसके बारे में आगाह किये जाने पर लोन एवरग्रीनिंग की एक विधि को दूसरी विधि द्वारा बदल दिया गया था।
लोन की एवरग्रीनिंग प्रक्रिया, ज़ोंबी लोन (Zombie lending) देने का एक रूप है। जॉम्बी लेंडिंग उन संस्थाओं को ऋण प्रदान करने की प्रथा को संदर्भित करता है जिनके पास चुकाने की क्षमता नहीं है।