Certificates of Deposit: बैंकों द्वारा जारी सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (CDs) में तेजी से उछाल आया है
वित्त वर्ष 2023 में बैंकों द्वारा जारी किए गए सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (Certificates of deposit: CDs) में तेजी से उछाल आया है और इसकी वजह रही है बैंकिंग संस्थानों से ऋण की मांग में अधिक वृद्धि। इसलिए बैंक सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट के माध्यम से अधिक जमा राशि स्वीकार कर रही है ताकि संस्थाओं को अधिक लोन दे सके।
RBI के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, बैंकों ने 2022-23 में 6.73 ट्रिलियन रुपये का सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट जारी किया, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 2.33 ट्रिलियन रुपये था।
सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट के बारे में
सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट या CD भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI) के तहत शासित एक फिक्स्ड इनकम फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट है और इसे डीमैटरियलाइज्ड रूप में ही जारी किया जा सकता है।
पेमेंट की राशि शुरू से ही फिक्स्ड होती है।
सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट किसी भी अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान या अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक द्वारा जारी की जा सकती है। वे अंकित मूल्य पर प्रदान की गई छूट पर जारी किए जाते हैं।
सावधि जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट) की तरह, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट का उद्देश्य लिखित रूप में यह बताना है कि आपने एक निश्चित अवधि के लिए बैंक में पैसा जमा किया है और वह बैंक आपकी जमा राशि और अवधि के आधार पर आपको उस पर ब्याज देगा।
सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट एक नेगोशिएबल, असुरक्षित मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट है जो एक बैंक द्वारा एक वर्ष तक की परिपक्वता अवधि के लिए उसके पास जमा की गई धनराशि के लिए एक वचन पत्र (promissory note) के रूप में जारी किया जाता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (जमा प्रमाणपत्र) निर्देश, 2021 पर मास्टर निर्देश में आगे कहा गया है कि सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट केवल डीमैटरियलाइज्ड रूप में जारी की जाएंगी और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ पंजीकृत डिपॉजिटरी के पास रखी जाएंगी।
इसके अलावा, बैंकों को सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट के बदले ऋण देने की अनुमति नहीं है, जब तक कि रिज़र्व बैंक द्वारा विशेष रूप से अनुमति नहीं दी जाती है।