लॉन्ड्रोमैट देश (Laundromat Countries)

फ़िनलैंड स्थित सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत “लॉन्ड्रोमैट” (Laundromat) देशों (भारत, चीन, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और सिंगापुर) के रूप में नामित उन पांच देशों का नेतृत्व करता है जो रूसी तेल खरीदते हैं और यूरोपीय देशों को उसका प्रोसेस्ड  उत्पाद बेचते हैं, इस प्रकार रूस के खिलाफ यूरोपीय प्रतिबंधों को दरकिनार करते हैं।

यह रिपोर्ट एनालिटिक्स फर्म केप्लर के नवीनतम डेटा और अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ब्लूमबर्ग की उस रिपोर्ट के साथ मेल खाती है, जिसमें दिखाया गया है कि कैसे यूरोपीय संघ (EU) के देश, जो “प्राइस कैप कोएलिशन” (price cap coalition) का हिस्सा हैं, वास्तव में भारत, चीन, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और सिंगापुर से तेल की खरीद बढ़ा रहे हैं।

प्राइस कैप कोएलिशन ऐसे देश है जो रूस में उत्पादित तेल की अधिकतम कीमत निर्धारित कर दिया है और उस प्राइस से अधिक पर रुसी तेल के व्यापार और बीमा पर रोक लगाते हैं।  इनमें यूरोपीय संघ, जी-7 देश, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं।

रिपोर्ट में भारतीय तेल विक्रेताओं और यूरोपीय खरीदारों पर गुजरात में एक रिफाइनरी से कच्चे उत्पादों को बेचकर संभवतः “प्रतिबंधों को दरकिनार” करने का आरोप लगाया गया है

यूरोपीय देश जिस तेल को पहले रूस से सीधे खरीदे थे, वही उत्पाद अब तीसरे देशों में “व्हाइटवॉश” किए जा रहे हैं और उनसे प्रीमियम पर खरीदे गए हैं।

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