अमेरिका और द. कोरिया ने न्यूक्लियर डिटरेंस रणनीति के रूप में “वाशिंगटन घोषणा” पर हस्ताक्षर किये

अमेरिका-दक्षिण कोरिया द्विपक्षीय संबंधों की 70 वीं वर्षगांठ के अवसर पर, दोनों देशों ने 25 अप्रैल, 2023 को न्यूक्लियर डिटरेंस रणनीति के रूप में “वाशिंगटन घोषणा” (Washington Declaration) पर हस्ताक्षर किए।

वाशिंगटन घोषणा के प्रमुख बिंदु

कोरियाई प्रायद्वीप में एक अमेरिकी परमाणु बैलिस्टिक पनडुब्बी तैनात की जाएगी;

जॉइंट रिस्पांस रणनीति के सिद्धांतों को तैयार करने के लिए एक परमाणु सलाहकार समूह का गठन किया जाएगा;

दक्षिण कोरिया परमाणु  एडवांसमेंट के संबंध में अमेरिका से ख़ुफ़िया सूचना प्राप्त करेगा; और

अमेरिका संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों और एक वार्षिक अंतर-सरकारी सहयोग के माध्यम से दक्षिण कोरिया की न्यूक्लियर डिटरेंस क्षमताओं को मजबूत करेगा।

मुख्य निष्कर्ष

वाशिंगटन घोषणा ने अप्रसार संधि की पुष्टि की है, जिसका अर्थ है कि दक्षिण कोरिया अपनी स्वतंत्र परमाणु क्षमताओं के निर्माण का प्रयास नहीं करेगा और इसके बजाय गठबंधन पर निर्भर रहकर डिटेरेन्स उपायों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

यह घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति को परमाणु टकराव की स्थिति में अमेरिका के परमाणु शस्त्रागार का उपयोग करने के लिए  ‘एकमात्र प्राधिकारी’ (sole authority) के रूप ऑथोराइज़ करती है।

यह न्यूक्लियर डिटरेंस नीति बड़ी शक्ति की राजनीति को दर्शाती है जहां बड़ी शक्ति (यू.एस.) के हितों को प्राथमिकता दी गयी  है।

गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति पार्क चुंग ही द्वारा समर्थित दक्षिण कोरिया के परमाणु विकास कार्यक्रम को अमेरिकी दबाव के कारण रोक दिया गया था। 

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