Notifiable Disease: मलेरिया पूरे भारत में अधिसूचित बीमारी घोषित होने की राह पर

Image credit: CDC
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बिहार, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और मेघालय भी मलेरिया को वेक्टर जनित बीमारी को श्रेणी में रखने की प्रक्रिया के क्रम में मलेरिया पूरे भारत में एक अधिसूचित बीमारी (Notifiable Disease) बनने की राह पर अग्रसर है।

एक बार सम्पूर्ण देश में यह बीमारी अधिसूचित बीमारी हो जाने इसके बाद कानून द्वारा यह आवश्यक होगा कि  इसके नए मामलों की सूचना सरकारी अधिकारियों तक पहुंचाई जाए। वर्तमान में मलेरिया भारत के 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक नोटिफाइड बीमारी है।

यह 2027 तक मलेरिया मुक्त होने और 2030 तक बीमारी के उन्मूलन के भारत के दृष्टिकोण का हिस्सा है।

अधिसूचित बीमारी (Notifiable Disease)

बता दें किसी एक अधिसूचित बीमारी कोई भी बीमारी है जिसे सरकारी अधिकारियों को सूचित करने के लिए कानून द्वारा आवश्यक है। सूचनाओं का मिलान अधिकारियों को बीमारी की निगरानी करने की अनुमति देता है, और संभावित प्रकोपों की प्रारंभिक चेतावनी प्रदान करता है।  

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम, 1969 को विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक निगरानी और सलाहकार भूमिका में मदद करने के लिए रोग रिपोर्टिंग आवश्यक है।

डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा बीमारी को कानूनी रूप से अधिसूचित करने से अत्यधिक संक्रामक रोगों के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए उपाय करने की अनुमति मिलती है।

पंजीकृत चिकित्सकों को ऐसी बीमारियों को उचित रूप में तीन दिनों के भीतर सूचित करने की आवश्यकता होती है, या स्थिति की तात्कालिकता के आधार पर 24 घंटे के भीतर फोन के माध्यम से मौखिक रूप से सूचित करने की आवश्यकता होती है।

इसका मतलब है कि हर सरकारी अस्पताल, निजी अस्पताल, प्रयोगशालाओं और क्लीनिकों को बीमारी के मामलों की रिपोर्ट सरकार को देनी होगी।  

राज्यों में सरकारों ने हैजा, डिप्थीरिया, एन्सेफलाइटिस, कुष्ठ रोग, मेनिन्जाइटिस, पर्टुसिस (काली खांसी), प्लेग, तपेदिक, एड्स, हेपेटाइटिस, खसरा, येलो फीवर, मलेरिया (कई राज्यों में), डेंगू, आदि जैसी कई बीमारियों को अधिसूचित बीमारी घोषित किया है।  

किसी भी बीमारी को अधिसूचित यानी नोटिफाई करने और उसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है।

किसी अधिसूचित बीमारी की रिपोर्ट करने में कोई भी विफलता आपराधिक कार्य माना जाता है और राज्य सरकार डिफाल्टर के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई कर सकती है।  

वर्ष 2012 में, भारत ने तपेदिक (टीबी) को एक अधिसूचित रोग घोषित किया था।

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