नेशनल मिशन फॉर कल्चरल मैपिंग: देश के एक लाख से अधिक गाँवों का महत्व के आधार पर मैपिंग
केंद्र सरकार ने नेशनल मिशन फॉर कल्चरल मैपिंग (NMCM) के ‘मेरा गाँव मेरी धरोहर’ कार्यक्रम के तहत देश भर में एक लाख से अधिक गाँवों की विशिष्ट विशेषताओं की पहचान की है और उनका दस्तावेजीकरण किया है।
इस सांस्कृतिक सम्पदा मैपिंग में, गाँवों को मुख्य रूप से सात-आठ श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। गावों का यह वर्गीकरण उनकी पारिस्थितिक, विकासात्मक और शैक्षिक, टेक्सटाइल, ऐतिहासिक या पौराणिक महत्व के आधार पर किया गया है। इसी अनुरूप उनकी कल्चरल मैपिंग की जा रही है।
पारिस्थितिक/इकोलॉजी श्रेणी के गांव के उदाहरण हैं: राजस्थान में जोधपुर के पास बिश्नोई गाँव, जो प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने के लिए एक केस स्टडी वाला गांवहै; और उत्तराखंड का रैणी गाँव, जो चिपको आंदोलन के लिए प्रसिद्ध है।
विकासात्मक महत्व वाला गांव: गुजरात में मोढेरा गांव, जो भारत का पहला सौर ऊर्जा संचालित गांव है।
ऐतिहासिक श्रेणी के गाँव: मध्य प्रदेश में कंडेल जो प्रसिद्ध ‘जल सत्याग्रह’ का स्थल है; उत्तराखंड में हनोल और कर्नाटक के विदुराश्वथर के गाँव, जो महाभारत से जुड़े हैं। हिमाचल प्रदेश में सुकेती (एशिया का सबसे पुराना जीवाश्म पार्क), और कश्मीर में पंद्रेथन (शैव रहस्यवादी लाल देद का गाँव)।
नेशनल मिशन फॉर कल्चरल मैपिंग (NMCM) के बारे में
NMCM का उद्देश्य पूरे देश में कला रूपों, कलाकारों और अन्य संसाधनों का एक व्यापक डेटाबेस विकसित करना है।
वर्ष 2017 में संस्कृति मंत्रालय द्वारा इसे लॉन्च किया गया था लेकिन कार्यक्रम की धीमी शुरुआत को देखते हुए 2021 इसके कार्यान्वयन का जिम्मा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) को सौंप दिया गया।