Aravalli Green Wall Project: अरावली के आसपास के 5 किमी के बफर क्षेत्र को हरित बनाने की पहल

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने 25 मार्च को हरियाणा के टिकली गांव में अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस (International Day of Forests) के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट (Aravalli Green Wall Project) का उद्घाटन किया।

इस पहल का उद्देश्य पांच राज्यों में फैली अरावली पर्वत श्रंखला के लगभग 5 किमी के बफर क्षेत्र को ग्रीन बनाना है।

अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट के तहत वनरोपण, पुनः वनीकरण और जल स्रोतों की बहाली के माध्यम से न सिर्फ अरावली के हरित क्षेत्र और जैव विविधता में बढ़ोतरी होगी, बल्कि क्षेत्र की मिट्टी की उर्वरता, पानी की उपलब्धता और जलवायु में भी सुधार होगा।

अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट

अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट केंद्रीय वन मंत्रालय के भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए देश भर में ग्रीन कॉरिडोर तैयार करने के विजन का हिस्सा है।

इस परियोजना में हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली राज्य शामिल हैं जहां 60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर अरावली की पहाड़ियां फैली हैं।

इस परियोजना में तालाबों, झीलों और नदियों जैसे सतही जल स्रोतों के कायाकल्प और पुनर्स्थापन के साथ-साथ झाड़ियों, बंजर भूमि और डेग्रेडेड वन भूमि पर पेड़ों और झाड़ियों की मूल प्रजातियों को लगाना शामिल होगा।

यह परियोजना स्थानीय समुदायों की आजीविका बढ़ाने के लिए कृषि वानिकी और चरागाह विकास पर भी ध्यान केंद्रित करेगी।

यह प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट अरावली रेंज के पारिस्थितिकी सेहत में सुधार करेगी। थार मरुस्थल के पूर्व की ओर विस्तार को रोकने और ग्रीन बाधाओं को बनाकर भूमि क्षरण को कम करेगी, जो मिट्टी के कटाव, मरुस्थलीकरण और धूल भरी आंधियों को रोकेंगी ।

UNCCD (यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन टू कम्बैट डायवर्सिफिकेशन), CBD (कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी) और UNFCCC (यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज) जैसे विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशंस के तहत भारत की प्रतिबद्धताओं के लिए योगदान करेगी।

शुरुआती चरण में, परियोजना के तहत 75 जल स्रोतों का कायाकल्प किया जाएगा, जिसकी शुरुआत 25 मार्च को अरावली लैंडस्केप के प्रत्येक जिले में पांच जल स्रोतों से हुई। परियोजना में अरावली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान और जल संसाधनों का संरक्षण भी शामिल होगा। यह परियोजना गुड़गांव, फरीदाबाद, भिवानी, महेंद्रगढ़ और हरियाणा के रेवाड़ी जिलों में बंजर भूमि को शामिल करेगी।

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