बुरुंडी में सर्कुलेटिंग पोलियोवायरस टाइप 2 के संक्रमण का मामला सामने आया है

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बुरुंडी में स्वास्थ्य अधिकारियों ने हाल ही में सूचित किया कि उन्होंने पोलियो के आठ नमूनों का पता लगाया है। पिछले 30 वर्षों में अफ्रीकी राष्ट्र बुरुंडी में पोलियो के प्रकोप की यह पहली घटना है।

पश्चिमी बुरुंडी के इसले जिले में चार साल के बच्चे को पोलियो से संक्रमित पाया गया था। उस बच्चे को पोलियो की टीका नहीं लगायी गयी थी।

पोलियो के बारे में

पोलियो अत्यधिक संक्रामक है और प्रभावी टीकाकरण के माध्यम से बच्चों की सुरक्षा के लिए समय पर कार्रवाई जरुरी है।

यह रोग दूषित पानी और भोजन के माध्यम से या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। हालांकि अधिकांश संक्रमित लोग गंभीर रूप से बीमार नहीं होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में तीव्र शिथिल पक्षाघात विकसित हो सकता है।

पोलियो ऑउटब्रेक को रोकने के लिए इसकी शुरुआती पहचान महत्वपूर्ण है।

वाइल्ड पोलियोवायरस (WPV) तीन प्रकार के होते हैं: टाइप 1, टाइप 2 (WPV2) और टाइप 3। लोगों को पोलियो रोग से बचाव के लिए तीनों प्रकार के वायरस से खुद को बचाना चाहिए। पोलियो टीकाकरण सबसे अच्छा बचाव है।

पोलियोवायरस टाइप 2 का प्रसार अफ्रीका में पोलियो का सबसे प्रचलित रूप है और इस प्रकार के पोलियोवायरस का प्रकोप इस क्षेत्र में सबसे अधिक दर्ज किया गया है।

टाइप 2 संक्रमण तब हो सकता है जब ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV) में निहित वायरस का कमजोर स्ट्रेन लंबे समय तक कम-प्रतिरक्षित आबादी के बीच प्रसारित होता रहता है।

सितंबर 2015 में टाइप 2 वाइल्ड पोलियोवायरस को समाप्त घोषित कर दिया गया था। इसका अंतिम मामला भारत में 1999 में दर्ज की गयी थी।

अक्टूबर 2019 में टाइप 3 वाइल्ड पोलियोवायरस को समाप्त घोषित कर दिया गया था। आखिरी बार नवंबर 2012 में इसका पता चला था। केवल टाइप 1 वाइल्ड पोलियोवायरस अभी संक्रमण में है।

दो प्रकार के टीकों का उपयोग

पोलियो रोग से बचाव के लिए दो प्रकार के टीकों का उपयोग किया जाता है: ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV) और इनएक्टिवेटेड पोलियोवायरस वैक्सीन (IPV)।

पोलियो रोग से बचाव के लिए कई देशों में ओरल पोलियोवायरस वैक्सीन (OPV) का उपयोग किया जाता है। ओरल पोलियोवायरस वैक्सीन में एक (मोनोवैलेंट ओपीवी), दो (बाइवेलेंट OPV: bOPV), या तीनों (ट्रिवेलेंट OPV) पोलियोवायरस प्रकारों का क्षीण या कमजोर स्ट्रेन होता है। वर्ष 2015 में वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप 2 को समाप्त घोषित किए जाने के बाद, दुनिया ट्रिवेलेंट OPV से बाइवेलेंट OPV में बदल गई। बाइवेलेंट OPV में पोलियोवायरस टाइप 1 और 3 होता है। इस स्विच का मतलब है कि विश्व स्तर पर इस्तेमाल किया जाने वाला bOPV अब WPV2 से सुरक्षा नहीं करता है।

नियमित टीकाकरण के लिए bOPV का उपयोग करने वाले देशों ने WPV2 से बचाव के लिए IPV की एक खुराक जोड़ी है।

दुर्लभ मामलों में, वैक्सीन-वायरस समय के साथ संक्रमित करने में सक्षम हो सकता है और अपर्याप्त प्रतिरक्षा या प्रतिरक्षा में अक्षम व्यक्तियों वाले समुदायों में म्युटेशन हो सकता है। ये म्युटेशन OPV उपभेद पोलियो रोग का कारण बन सकते हैं। इन्हें वैक्सीन-जनित पोलियोवायरस (vaccine-derived polioviruses: VDPVs) कहा जाता है।

IPV लोगों को तीनों प्रकार के पोलियोवायरस से बचाता है। IPV में लाइव वायरस नहीं होता है और यह बीमारी का कारण नहीं बन सकता है। यह लोगों को पोलियो की बीमारी से बचाता है लेकिन वायरस के संक्रमण को नहीं रोकता है।

OPV का उपयोग पोलियो के प्रकोप को रोकने के लिए किया जा सकता है।

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