राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन (1961)
खालिस्तान समर्थक नारे लगाने वाले लोगों के एक छोटे समूह ने लंदन में भरतीय उच्चायोग में भारतीय ध्वज को नीचे उतारने का प्रयास किया था। उस समय लंदन मेट्रोपॉलिटन पुलिस नदारद थी।
उपर्युक्त घटना के पश्चात भारत सरकार ने 20 मार्च को भारत स्थित ब्रिटिश उप उच्चायुक्त के वरिष्ठ राजनयिक को तलब किया और अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया।
ब्रिटिश सुरक्षा कर्मियों के नदारद पर स्पष्टीकरण की मांग की गई क्योंकि इन भारत विरोधी तत्वों को उच्चायोग परिसर में प्रवेश करने की अनुमति कैसे मिल गयी। भारत ने ब्रिटिश राजनयिक को वियना कन्वेंशन के तहत यूके सरकार के बुनियादी दायित्वों को भी याद दिलाया।
राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन (1961)
राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन 1961 (Vienna Convention on Diplomatic Relations) स्वतंत्र संप्रभु देशों के बीच सहमति के आधार पर राजनयिक संबंधों की स्थापना, रखरखाव और समाप्ति के लिए एक पूर्ण फ्रेमवर्क प्रदान करता है।
राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन 24 अप्रैल, 1964 को लागू हुआ और विश्व के लगभग सभी देशों ने इसकी अभिपुष्टि कर दी है सिवाय पलाऊ और दक्षिण सूडान के।
यह कन्वेंशन राजनयिक प्रतिरक्षा के लंबे समय से चली आ रही प्रथा को संहिताबद्ध करता है, जिसमें राजनयिक मिशनों को विशेषाधिकार दिए जाते हैं।
ये विशेषाधिकार राजनयिकों को मेजबान देश (जहां दूतावास स्थित है) द्वारा जबरदस्ती या उत्पीड़न के डर के बिना अपने कार्यों को करने में सक्षम बनाते हैं।
यह कन्वेंशन राजनयिक मिशन की सीमा को किसी तरह से अनुल्लंघन करने से रोकता है।
कन्वेंशन का अनुच्छेद 22 मिशन के परिसर के संबंध में दायित्वों से संबंधित है। इस अनुच्छेद के भाग 2 में कहा गया है कि दूतावास के होस्ट देश किसी भी घुसपैठ या क्षति से मिशन के परिसर की रक्षा के लिए और मिशन की शांति को किसी भी तरह की गड़बड़ी या इसकी गरिमा की हानि को रोकने के लिए सभी उचित कदम उठाने के लिए विशेष कर्तव्य बंधे हुए हैं।
किसी भी उच्चायोग या दूतावास की सुरक्षा की जिम्मेदारी मेजबान देश की होती है। वैसे राजनयिक मिशन अपनी स्वयं की सुरक्षा के लिए सुरक्षा बल तैनात कर सकता है परन्तु मेजबान देश ही सुरक्षा के लिए जवाबदेह है।