Money Laundering Act: पॉलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन्स और NGOs को सख्त रेगुलेशन के दायरे में लाया गया
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने वित्तीय संस्थानों, बैंकिंग कंपनियों या इंटरमीडियरीज जैसी रिपोर्टिंग संस्थाओं द्वारा गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के बारे में अधिक डिस्क्लोजर करने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग नियमों में संशोधन किया है।
इस संशोधन के तहत फाइनेंशियल एक्शन टास्क फाॅर्स (FATF) की सिफारिशों के अनुरूप धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act: PMLA) के तहत “राजनीतिक रूप से उजागर व्यक्तियों” (politically exposed persons: PEPs) को भी परिभाषित किया है।
‘पॉलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन्स’ (PEPs) कौन हैं?
PMLA अनुपालन के नियमों में नया खंड “पॉलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन्स’ (PEPs)” को ऐसे व्यक्तियों के रूप में परिभाषित करता है, जिन्हें किसी अन्य देश द्वारा प्रमुख सार्वजनिक पद सौंपे गए हैं, जिनमें राष्ट्र या शासन प्रमुख, वरिष्ठ राजनेता, सरकार के वरिष्ठ अधिकारी या वरिष्ठ न्यायिक या सैन्य अधिकारी शामिल हैं। राज्य के स्वामित्व वाले निगमों के अधिकारी और महत्वपूर्ण राजनीतिक दल के अधिकारी भी शामिल हैं।
यह संशोधन विदेशी PEPs के संबंध में है न कि घरेलू PEPs के बारे में।
PMLA के तहत राजनीतिक रूप से उजागर व्यक्तियों को परिभाषित करने के लिए संशोधन, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 2008 के सर्कुलर के साथ KYC मानदंडों / बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी मानकों के साथ एकरूपता लाने के लिए है। भारतीय रिजर्व बैंक ने FATF मानदंडों के अनुरूप PEPs को परिभाषित किया था।
लाभकारी स्वामी (Beneficial owner) की परिभाषा में संशोधन
PMLA में संशोधन के तहत कंपनी अधिनियम और आयकर अधिनियम के अनुरूप, जहां क्लाइंट अपने किसी लाभकारी स्वामित्व (Beneficial owner) की ओर से कार्य कर रहा है, रिपोर्टिंग संस्थाओं द्वारा लाभकारी स्वामियों की पहचान करने के लिए आवश्यक हिस्सेदारी सीमा को कम कर दिया गया है।
पहले ‘लाभकारी स्वामी’ शब्द को कंपनी के शेयरों या पूंजी या लाभ के 25 प्रतिशत से अधिक के स्वामित्व या हकदारी के रूप में परिभाषित किया गया था, जिसे अब घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अधिक अप्रत्यक्ष प्रतिभागियों को रिपोर्टिंग के दायरे में लाया जा सके।
गैर सरकारी संगठन संबंधी संशोधन
यदि क्लाइंट एक गैर-लाभकारी संगठन है, तो रिपोर्टिंग संस्थाओं को ऐसे क्लाइंट का विवरण नीति आयोग के दर्पण (DARPAN) पोर्टल पर दर्ज करना होगा।
एक गैर-लाभकारी संगठन की परिभाषा में भी संशोधन किया गया है और आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 2(15) के तहत दी गई धर्मार्थ उद्देश्य (charitable purpose) की परिभाषा से जोड़ा गया है ताकि आईटी अधिनियम के तहत धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए गठित किसी भी यूनिट या संगठन को शामिल किया जा सके।