भारत के CAG गिरीश चंद्र मुर्मू को ILO के बाह्य लेखा परीक्षक के रूप में चुना गया
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General), गिरीश चंद्र मुर्मू को 2024 से 2027 तक चार साल की अवधि के लिए जिनेवा में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के बाहरी लेखा परीक्षक के रूप में चुना गया है। CAG फिलीपींस के सुप्रीम ऑडिट इंस्टीट्यूशन ILO के मौजूदा एक्सटर्नल ऑडिटर से पदभार ग्रहण करेंगे।
- CAG की नियुक्ति अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ-साथ इसके व्यावसायिकता, उच्च मानकों, वैश्विक लेखापरीक्षा अनुभव और मजबूत राष्ट्रीय साख के बीच इसकी स्थिति की पहचान है।
- ILO ने बाह्य लेखापरीक्षक की नियुक्ति के लिए एक चयन पैनल का गठन किया था और सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थानों से बोलियाँ आमंत्रित की थीं। तकनीकी अनुभव और अन्य मानदंडों के आधार पर, ILO ने तीन सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थानों – भारत, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम – को तकनीकी प्रस्तुतियों के लिए चुना।
भारत का नियंत्रक-महालेखा परीक्षक (CAG): संवैधानिक प्रावधान
- संविधान के अनुच्छेद 148 के अनुसार भारत का एक नियंत्रक-महालेखापरीक्षक होगा जिसको राष्ट्रपति अपने हस्तााक्षर और मुहर सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करेगा और उसे उसके पद से केवल उसी रीति से और उन्ही आधारों पर हटाया जाएगा जिस रीति से और जिन आधारों पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को हटाया जाता है।
- वे पदग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति या उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त व्यक्ति के समक्ष तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गए प्रारूप के अनुसार शपथ लेते हैं।
- नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का वेतन और सेवा की अन्य शर्तें संसद, विधि द्वारा निर्धारित की जाती है और इसका उल्लेख संविधान की दूसरी अनूसूची में होता है।
- नियंत्रक-महालेखापरीक्षक, सेवानिवृत्ति के पश्चात न तो केंद्र सरकार के और न तो किसी राज्य की सरकार के अधीन किसी और पद पर नियुक्त के लिए पात्र होते हैं।
- संविधान के अनुच्छेद 151 के अनुसार भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक की संघ के लेखाओं संबंधी रिपोर्टों को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करता है जो उनको संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाता है। इसी तरह भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक किसी राज्य के लेखाओं संबंधी रिपोर्टों को राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत करता है जो उनको उस राज्य के विधान-मंडल के समक्ष रखवाता है।