Diyodar aubrite meteorite: गुजरात में गिरा 170 वर्षों में भारत का पहला ऑब्राइट उल्कापिंड

पिछले साल 17 अगस्त, 2022 को गुजरात के बनासकांठा जिले में जो उल्कापिंड (meteorite) गिरा था, वह वास्तव में दुर्लभ ऑब्राइट (aubrite) उल्कापिंड था।  इससे पहले भारत में ऑब्राइट उल्कापिंड 1852 में उत्तर प्रदेश के बस्ती में गिरा था।
 
 जर्नल करंट साइंस में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 17 अगस्त, 2022 को  यह उल्कापिंड भारत के ऊपर से गुजरा, हवा के माध्यम से नीचे आते ही टूटकर बनासकांठा के दो गांवों में बिखर गया। एक टुकड़ा रनटीला गांव में नीम के पेड़ से टकराकर कई टुकड़ों में बंट गया। एक अन्य 10 किमी दूर रवेल गांव में एक घर के बरामदे में नीचे गिरा और उसका भी यही हाल हुआ। इस उल्कापिंड को दियोदर (Diyodar) नाम दिया गया है क्योंकिं जिन में गांवों में इस उल्कापिंड के टुकड़े गिरे थे वे Diyodar तालुका में स्थित हैं।

ऑब्राइट उल्कापिंड (Aubrite meteorite) क्या है?

भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL), अहमदाबाद में वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चला है कि उल्कापिंड ऑब्राइट का एक “दुर्लभ, अनूठा नमूना” है।

अब तक भारत में सैकड़ों उल्कापिंड गिरे हैं, लेकिन यह ऑब्राइट की केवल दूसरी दर्ज घटना है। आखिरी बार 2 दिसंबर, 1852 को उत्तर प्रदेश के बस्ती में उल्कापिंड ऑब्राइट के नमूने प्राप्त हुए थे।

1836 के बाद से दुनिया भर में ऑब्राइट्स के कम से कम 12 स्थानों पर गिरने के प्रमाण प्राप्त हुए हैं, जिनमें अफ्रीका में तीन और यू.एस. में छह शामिल हैं।

ऑब्राइट्स “मोटे दाने वाली आग्नेय चट्टानें हैं जो” कमजोर ऑक्सीजन वाली परिस्थितियों में बनती हैं, और इस प्रकार इनमें विभिन्न प्रकार के एलियन खनिज प्राप्त होते हैं जो पृथ्वी पर नहीं पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, बस्ती उल्कापिंड में सबसे पहले खनिज हेइडाइट (heideite) का वर्णन किया गया था।

अहमदाबाद में अंतरिक्ष विभाग की भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला में वैज्ञानिकों के एक समूह, जिन्होंने अपने अध्ययन के आधार पर पेपर लिखा था, ने पाया कि दियोदर ऑब्राइट में मुख्य रूप से एक खनिज प्राप्त हुआ है जिसे एंस्टेटाइट (enstatite) के रूप में जाना जाता है, जो कि बुध ग्रह की सतह पर प्राप्त होने वाली चट्टानी विशेषताओं के समान है।

उल्काउल्कापिंड

उल्का (Meteors) अंतरिक्ष में किसी ठोस वस्तु के टुकड़े होते हैं जो टूट कर अलग हो जाते हैं।  ये किसी ग्रह या चंद्रमा पर उतरते हैं और फिर पृथ्वी की सतह पर पहुंचने में कामयाब हो जाते हैं।

एक बार धरती पर गिरने के बाद उन्हें उल्कापिंड (meteorites) कहा जाता है।

ऑब्राइट्स  उल्कापिंड की उत्पत्ति के बारे में वैज्ञानिक अभी तक निश्चित नहीं हैं, हालांकि कुछ संकेत बताते हैं कि ये क्षुद्रग्रह 3103 ईगर (asteroid 3103 Ege) या बुध ग्रह से हो सकते हैं। 

error: Content is protected !!