दाऊदी बोहरा (Dawoodi Bohra) समुदाय
हाल ही में, 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने दाउदी बोहरा समुदाय में “बहिष्कार की प्रथा” (Practice of excommunication) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को सबरीमाला के फैसले की समीक्षा के लिए 28 सितंबर, 2018 गठित नौ-न्यायाधीशों की बेंच को सौंप दिया है।
दाऊदी बोहरा (Dawoodi Bohra) शिया मुसलमान हैं जिनके नेता को अल-दाई-अल-मुतलक (Al-Dai-Al-Mutlaq) के नाम से जाना जाता है।
समुदाय के सदस्यों के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 10 लाख दाऊदी बोहरा फैले हुए हैं। 400 से अधिक वर्षों से इस समुदाय के प्रमुख यानी अल-दाई-अल-मुतलक भारत में रह रहे हैं, जिनमें वर्तमान और 53 वें नेता, डॉ सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन (Dr Syedna Mufaddal Saifuddin) शामिल हैं।
समुदाय के सदस्यों ने अपने किसी सदस्यों को बहिष्कृत करने का अधिकार (right to excommunicate) अपने नेता को सौंपा है।
व्यावहारिक रूप से, बहिष्कार का अर्थ समुदाय से संबंधित किसी मस्जिद में प्रवेश या समुदाय को समर्पित कब्र के उपयोग की अनुमति नहीं देना है। अतीत में समुदाय के जिन सदस्यों ने बहिष्करण का सामना किया है, उनमें वे लोग शामिल हैं जिन्होंने समुदाय के के नेतृत्व का चुनाव लड़ा था।