NISAR: नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार
नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित,पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह, जिसे NISAR (NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार) कहा जाता है, का 3 फरवरी को दक्षिणी कैलिफोर्निया में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) में विदाई समारोह आयोजित किया गया।
NISAR को 2014 में हस्ताक्षरित एक साझेदारी समझौते के तहत अमेरिका और भारत की अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा बनाया गया है।
2,800 किलोग्राम के उपग्रह में L-बैंड और S-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (synthetic aperture radar: SAR) दोनों शामिल हैं जो इस उपकरण को एक दोहरी आवृत्ति इमेजिंग रडार उपग्रह (dual-frequency imaging radar satellite) बनाता है।
जहां नासा ने डेटा स्टोर करने के लिए L-बैंड रडार, GPS, एक उच्च क्षमता वाला ठोस-राज्य रिकॉर्डर और एक पेलोड डेटा सबसिस्टम प्रदान किया है, वहीं इसरो ने S-बैंड रडार,GSLV लॉन्च सिस्टम और अंतरिक्ष यान प्रदान किया है।
एक बार अंतरिक्ष में प्रक्षेपित होने के बाद, NISAR पृथ्वी की सतहों में सूक्ष्म परिवर्तनों का अवलोकन करेगा, जिससे शोधकर्ताओं को ऐसी घटनाओं के कारणों और परिणामों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
यह ज्वालामुखी विस्फोट, भूकंप और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के चेतावनी संकेतों पर भी निगरानी रखेगा। यह उपग्रह भूजल स्तर को भी मापेगा, ग्लेशियरों और बर्फ की चादरों की प्रवाह दर को ट्रैक करेगा और पृथ्वी के वन और कृषि क्षेत्रों की निगरानी करेगा, जिससे कार्बन एक्सचेंज की हमारी समझ में सुधार हो सकता है।
इसरो कृषि मानचित्रण, हिमालय में ग्लेशियरों की निगरानी, भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों और समुद्र तट में परिवर्तन सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए NISAR का उपयोग करेगा।