SEBI ने सतत वित्त के नए तरीकों में ‘ब्लू’ और ‘येलो’ बॉण्ड की अवधारणा पेश किया
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सतत वित्त (sustainable finance) के नए तरीकों के रूप में ‘ब्लू’ और ‘येलो’ बॉण्ड की अवधारणा को पेश करके ग्रीन बॉन्ड फ्रेमवर्क को मजबूत किया है।
ब्लू और येलो बॉण्ड
- SEBI ने ग्रीन डेब्ट सिक्योरिटी की परिभाषा के भीतर विशेष उपश्रेणियों (ब्लू और येलो) को शामिल करने करने के लिए ग्रीन बॉण्ड फ्रेमवर्क में संशोधन को अधिसूचित किया है।
- ब्लू बॉण्ड (Blue bonds) सतत तरीके से मछली पकड़ने, सतत जल प्रबंधन सहित सतत समुद्री क्षेत्र के लिए जुटाए गए सस्टेनेबल फाइनेंस के तरीके हैं।
- येलो बॉण्ड सौर ऊर्जा उत्पादन और संबंधित अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम उद्योगों के लिए सस्टेनेबल फाइनेंस के साधन हैं।
- सेबी ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (निर्गम और गैर-परिवर्तनीय प्रतिभूतियों की सूची) विनियम, 2021 (Securities and Exchange Board of India (Issue and Listing of Non-Convertible Securities) Regulations, 2021) में संशोधन किया है।
- इन विनियमों को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (निर्गम और गैर-परिवर्तनीय प्रतिभूतियों की सूची) (संशोधन) विनियम, 2023 कहा जा सकता है।
- इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य ‘ग्रीन डेब्ट प्रतिभूति’ (green debt security) और प्रासंगिक मामलों की परिभाषा का विस्तार करना है।
- इसमें प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण और पर्यावरण-कुशल उत्पादों के संबंध में सतत वित्त के नए तरीके भी शामिल किए गए हैं।
- ये कदम भारत और दुनिया भर में सतत वित्त (sustainable finance) में बढ़ती रुचि को देखते हुए उठाया गया है।
- इन संशोधनों का लक्ष्य ग्रीन डेट सिक्योरिटीज के मौजूदा फ्रेमवर्क को अपडेटेड ग्रीन बॉण्ड सिद्धांतों (Green Bond Principles) के साथ तालमेल स्थापित करना है, जिन्हें IOSCO द्वारा मान्यता प्राप्त है।
- विनियामक फ्रेमवर्क ग्रीन डेट सिक्योरिटीज को उन ऋण प्रतिभूतियों के रूप में परिभाषित करता है जो धन जुटाने के लिए जारी की जाती हैं जिनका उपयोग कुछ श्रेणियों के अंतर्गत आने वाली परियोजनाओं या संपत्तियों के लिए किया जाता है।